भाषा की रक्षा सीमा की रक्षा से भी अधिक महत्वपूर्ण- डॉ. महंत
बिलासपुर। डॉ. सीवी रमन विश्वविद्यालय द्वारा हिंदी दिवस के अवसर पर 14 से 30 सितंबर तक हिंदी पखवाड़े का आयोजन किया जा रहा है।
इस 15 दिवसीय कार्यक्रम में विभिन्न हिंदी केंद्रित गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं, जिसमें वाद-विवाद, प्रश्नोत्तरी, हिंदी कार्यशाला, कविता और कहानी पाठ प्रमुख हैं। शुभारंभ के दिन “डिजिटल युग में हिंदी: तकनीकी विकास और भाषा का भविष्य” विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
संगोष्ठी के मुख्य वक्ता, वरिष्ठ साहित्यकार देवधर महंत ने अपने संबोधन में कहा कि आज के समय में भाषा की रक्षा सीमा की रक्षा से भी अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। उन्होंने हिंदी को जननी की तरह बताया जो संस्कार, ज्ञान और विज्ञान की भाषा है। महंत ने कहा कि तकनीकी प्रगति के साथ हिंदी का भी विस्तार हुआ है और आज इंटरनेट पर हिंदी में पढ़ाई के लिए पर्याप्त सामग्री उपलब्ध है, जिससे हर व्यक्ति को पढ़ने-लिखने के अनेक विकल्प मिल रहे हैं। हालांकि, उन्होंने तकनीक से होने वाली कुछ नकारात्मक प्रभावों की ओर भी ध्यान आकर्षित किया, जैसे लेखन में अशुद्धियां और कॉपी-पेस्ट की बढ़ती प्रवृत्ति।
मुख्य अतिथि रामकुमार तिवारी ने हिंदी दिवस को जन्मदिन की तरह मानते हुए हर साल नए संकल्प लेने की बात कही। उन्होंने कहा कि हिंदी भारत के लोगों को एकजुट करने वाली भाषा है, जिससे राष्ट्र निर्माण में मदद मिल सकती है। तिवारी ने यह भी सुझाव दिया कि यदि सभी भाषाओं की लिपि देवनागरी हो जाए, तो हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने में आसानी होगी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति रवि प्रकाश दुबे ने हिंदी को भावनाओं की अभिव्यक्ति की भाषा बताया और इसे वैश्विक स्तर पर स्थापित करने का आह्वान किया। उन्होंने मैकाले की शिक्षा पद्धति का जिक्र करते हुए कहा कि इस पद्धति ने भारतीय भाषा और संस्कृति को कमजोर किया, लेकिन अब हमें अपने राष्ट्र और संस्कृति को पहचानने की आवश्यकता है।
विश्वविद्यालय के कुलसचिव अरविंद तिवारी ने कहा कि उनका संस्थान इस आदिवासी अंचल में इंजीनियरिंग, साइंस और टेक्नोलॉजी को हिंदी माध्यम में पढ़ाने के साथ-साथ, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी का परचम लहरा रहा है। उन्होंने भाषाई लोकतंत्र की स्थापना की आवश्यकता पर बल दिया और एआई तकनीक के माध्यम से भारतीय भाषाओं को सीखने की संभावनाओं पर चर्चा की।
यह आयोजन हिंदी भाषा एवं साहित्य विभाग, भाषा विज्ञान विभाग, वनमाली सृजन पीठ, भारतीय ज्ञान परंपरा केंद्र और आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया। कार्यक्रम में विषय प्रवर्तन वेद प्रकाश मिश्रा ने किया, जबकि स्वागत भाषण शाहिद हुसैन ने दिया। आभार गुरप्रीत बग्गा ने प्रकट किया और संचालन सृष्टि शर्मा ने किया। इस अवसर पर विभिन्न विभागों के प्रमुख, प्राध्यापक और विद्यार्थी उपस्थित रहे।