बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के पास गतौरा-बिलासपुर रेल खंड पर मंगलवार दोपहर करीब 4 बजे एक यात्री मेमू ट्रेन (नंबर 68733, गेवरा रोड-बिलासपुर) मालगाड़ी से टकरा गई। इस भयानक टक्कर में कम से कम छह लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 14 से अधिक यात्री घायल बताए जा रहे हैं। रेलवे के प्रारंभिक जांच में संकेत मिला है कि सिग्नल पास न करने या मानवीय चूक से यह हादसा हुआ, लेकिन आधिकारिक पुष्टि का इंतजार है। बचाव कार्य में हाइड्रोलिक कटर का इस्तेमाल कर घायलों को निकाला गया, और उन्हें बिलासपुर के मेडिकल कॉलेज अस्पताल और अन्य चिकित्सालयों में पहुंचाया गया। रेलवे ने मृतकों के परिजनों को 10 लाख, गंभीर रूप से घायलों को 5 लाख और मामूली चोट वालों को 1 लाख रुपये की सहायता राशि घोषित की है।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने हादसे पर शोक जताते हुए जिला कलेक्टर को तत्काल राहत के निर्देश दिए। उन्होंने कहा, “यह अत्यंत दुखद है। राज्य सरकार प्रभावित परिवारों के साथ खड़ी है।” विपक्षी नेता शेखर नवांग ने भी शोक संवेदना व्यक्त करते हुए दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की। सोशल मीडिया पर लोग रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं, जहां एक यूजर ने लिखा, “ट्रेन हादसे रुकने का नाम नहीं ले रहे। कवच सिस्टम कहां है?”

यह हादसा भारतीय रेलवे के लिए एक और झटका है, जहां हाल के वर्षों में बड़े हादसे बढ़ते जा रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक, 2020 से 2025 के बीच 200 से अधिक प्रमुख दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 145 डिरेलमेंट शामिल हैं। इनमें 351 से ज्यादा मौतें हुईं। कुछ प्रमुख हादसे इस प्रकार हैं:

वर्ष हादसा स्थान मौतें/घायल
2020 माइग्रेंट वर्कर्स को मालगाड़ी ने कुचला (कोविड महामारी) औरंगाबाद, महाराष्ट्र 16 मौतें, 1 घायल
2023 तीन ट्रेनों की टक्कर (कोरोमंडल एक्सप्रेस सहित) बालासोर, ओडिशा 296 मौतें, 1000+ घायल
2023 विशाखापत्तनम-पालासा एक्सप्रेस और रायगढ़ा पैसेंजर की टक्कर विजयनगरम, आंध्र प्रदेश 14 मौतें, 50+ घायल
2024 हावड़ा-मुंबई मेल का डिरेलमेंट झारखंड 2 मौतें, 20+ घायल
2025 जलगांव ट्रेन हादसा (झूठे आग अलार्म के बाद टक्कर) जलगांव, महाराष्ट्र 12 मौतें, 15 घायल
2025 दिल्ली स्टेशन पर भगदड़ नई दिल्ली 20 मौतें, कई घायल

ये आंकड़े राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) और रेल मंत्रालय के डेटा पर आधारित हैं। 2024-25 में ही 31 प्रमुख हादसे दर्ज किए गए, जिनमें 24 डिरेलमेंट और 3 टक्कर शामिल हैं।

रेलवे के दावे: रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव संसद में कह चुके हैं कि पिछले 10 वर्षों में दुर्घटनाएं 70% घटी हैं। दुर्घटना प्रति मिलियन ट्रेन किलोमीटर (एपीएमटीकेएम) दर 2014-15 के 0.11 से घटकर 2023-24 में 0.03 हो गई। रेलवे ने ‘मिशन जीरो एक्सीडेंट’ और राष्ट्रीय रेल सुरक्षा कोष (आरआरएसके) के तहत 1.45 लाख करोड़ रुपये खर्च कर सुरक्षा उपाय किए हैं। इनमें कवच सिस्टम (ट्रेनों को स्वचालित ब्रेकिंग), 2931 कोचों में सीसीटीवी, 668 स्टेशनों पर निगरानी, अल्ट्रासोनिक फ्लॉ डिटेक्शन (यूएफडी) से ट्रैक जांच, और 2024 तक सभी अनमैन लेवल क्रॉसिंग बंद करना शामिल है। रेलवे दावा करता है कि 2019-20 में पहली बार शून्य यात्री मौत हुई, और आधुनिक सिग्नलिंग से 73% सुधार आया।

फिर भी हादसे क्यों बढ़ रहे? विशेषज्ञों के अनुसार, मुख्य कारण हैं:

  • मानवीय चूक: 55% हादसे स्टाफ की गलती से, जैसे सिग्नल नजरअंदाज या थकान। 2021-22 में 20 ऐसे मामले थे।
  • पुरानी इंफ्रास्ट्रक्चर: ट्रैक रखरखाव पर 1.03 लाख करोड़ का घाटा। 2017-21 में 1127 डिरेलमेंट में 26% ट्रैक नवीनीकरण की कमी से।
  • सिग्नलिंग और उपकरण फेलियर: बालासोर जैसी घटनाओं में पुराने सिग्नल दोषी। 2021-22 में 4 उपकरण फेलियर दर्ज।
  • ओवरलोडिंग और भीड़: ट्रेनें 100% से ज्यादा क्षमता पर चल रही, जिससे ट्रैक पर दबाव। महामारी के बाद यात्रियों की संख्या 2.3 करोड़ प्रतिदिन पहुंची।
  • अन्य: चोरी, तोड़फोड़ या मौसम का प्रभाव।

रेलवे की चुनौतियां बढ़ रही हैं, क्योंकि नेटवर्क 1.48 लाख किमी का है, लेकिन कर्मचारियों की कमी और फंड उपयोग में देरी है। सीएजी रिपोर्ट में कहा गया कि आरआरएसके फंड का दुरुपयोग हुआ, जैसे फुट मसाजर पर खर्च। विपक्ष आरोप लगाता है कि हाई-स्पीड प्रोजेक्ट पर फोकस से बेसिक सुरक्षा नजरअंदाज हो रही।

यह हादसा रेलवे को आईना दिखाता है। यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कवच को पूरे नेटवर्क पर जल्द लागू करना, रखरखाव बढ़ाना और स्टाफ ट्रेनिंग मजबूत करना जरूरी। अन्यथा, ऐसे दुखद हादसे आम जनता का भरोसा तोड़ते रहेंगे। रेलवे हेल्पलाइन: 139 या 1800-111-139।

(संदर्भ: द हिंदू, न्यूज18, हिंदुस्तान टाइम्स, विकिपीडिया, रेल मंत्रालय डेटा)

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