बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार हिंसा मामले में हाईकोर्ट ने आज महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। जस्टिस एन.के. व्यास की एकल पीठ ने भीम आर्मी के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश चतुर्वेदी और युवा कांग्रेस नेता सूर्यकांत वर्मा समेत 112 आरोपियों को जमानत प्रदान कर दी।
आरोपियों के वकीलों ने क्या कहा?
हाईकोर्ट में बचाव पक्ष के वकीलों ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल निर्दोष हैं और उन्हें राजनीतिक कारणों से फंसाया गया है। वकीलों का दावा था कि कई गिरफ्तारियां बिना पर्याप्त साक्ष्यों के की गई हैं, जिससे न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन हुआ है।
सुप्रीम कोर्ट से भी राहत
इससे पहले, विधायक देवेंद्र यादव को भी सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल चुकी है। वहीं, गुरुवार को भीम आर्मी और सतनामी समाज के लोगों ने रायपुर में मुख्यमंत्री आवास के बाहर प्रदर्शन कर इस मामले में निष्पक्ष न्याय की मांग की थी।
क्या था मामला?
घटना 10 जून 2024 की है, जब बलौदाबाजार में सतनामी समाज ने जैतखाम तोड़े जाने का विरोध किया। इस विरोध प्रदर्शन के दौरान हालात बिगड़ गए और भीड़ ने कलेक्टर और एसपी कार्यालय में आग लगा दी। प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई करते हुए 43 अलग-अलग मामलों में 187 लोगों को गिरफ्तार किया था।
कानून-व्यवस्था और आगजनी के आरोप
हिंसा के दौरान प्रशासन और प्रदर्शनकारियों के बीच तीखी झड़पें हुईं। कई स्थानों पर आगजनी की घटनाएं सामने आईं। पुलिस ने भारी संख्या में लोगों को गिरफ्तार किया और उन पर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और कानून-व्यवस्था भंग करने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए।
क्या आगे होगा?
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद आरोपियों की रिहाई का रास्ता साफ हो गया है, लेकिन इस मामले पर राजनीतिक और सामाजिक बहस जारी है। अब सभी की नजरें आगे की कानूनी प्रक्रिया और प्रशासन की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।
हाईकोर्ट के आदेश में हिदायत दी गई है कि आरोपी विचारण न्यायालय में सभी सुनवाई के दौरान उपस्थित रहें अन्यथा उनकी जमानत रद्द कर दी जाएगी।