रायपुर। बस्तर के चार जिलों के 1400 जवानों ने तीन दिनों तक सर्चिंग ऑपरेशन चलाकर नारायणपुर, बस्तर के अबूझमाड़ इलाके में पांच माओवादियों को ढेर कर दिया। यह अभियान नारायणपुर के कोहकामेटा वन क्षेत्र में शुरू किया गया था और सुरक्षा बलों की अलग-अलग इकाइयों के कर्मियों द्वारा इसे अंजाम दिया गया।
इसके साथ ही बस्तर संभाग के बीजापुर, दंतेवाड़ा, सुकमा, नारायणपुर और कांकेर जिलों में अलग-अलग मुठभेड़ों में मारे गए माओवादियों की संख्या इस वर्ष बढ़कर 138 हो गई है।
छत्तीसगढ़ का अबूझमाड़ लंबे समय से माओवादियों का गढ़ रहा है। सुरक्षा बल लंबे समय से अबूझमाड़ के इस गढ़ में सेंध लगाने की कोशिश कर रहे थे।
सुरक्षा बलों द्वारा नक्सल विरोधी अभियानों की श्रृंखला में पहला बड़ा हमला 16 अप्रैल को बस्तर की उत्तरी सीमा पर स्थित कांकेर जिले के छोटेबेठिया पुलिस थाना क्षेत्र के अंतर्गत बिनगुड़ा-कोरगुट्टा वन क्षेत्र में किया गया। सुरक्षा बलों और माओवादियों के बीच हुई भीषण मुठभेड़ में जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की संयुक्त टीम ने प्रतिबंधित भाकपा माओवादी की 14 महिला कार्यकर्ताओं सहित 29 माओवादियों को मार गिराया।
मुठभेड़ में मारे गए लोगों पर कुल 1.78 करोड़ रुपये का इनाम था, जिसमें डिवीजनल कमेटी सदस्य और सीपीआई माओवादी के उत्तर बस्तर डिवीजन के प्रभारी शंकर राव और एरिया कमेटी सदस्य रीता सलामे और विनोद गावड़े जैसे नाम शामिल हैं। बिन्नागुड़ा में यह कार्रवाई 2 अप्रैल को बीजापुर के लेंड्रा गांव के निकट नक्सलियों पर सुरक्षा बलों द्वारा किए गए एक अन्य बड़े हमले के बाद की गई है, जिसमें प्रतिबंधित माओवादी समूह के 13 सदस्य मारे गए थे।
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), उसकी विशिष्ट इकाई कमांडो बटालियन फॉर रेजोल्यूट एक्शन (कोबरा) और सुरक्षा बलों की अन्य इकाइयों की संयुक्त टीम ने बीजापुर के गंगलूर पुलिस थाना क्षेत्र में करीब आठ घंटे तक अभियान चलाया। मुठभेड़ के बाद संयुक्त टीम ने मुठभेड़ स्थल से बड़ी संख्या में लाइट मशीन गन (एलएमजी), गोले और बैरल ग्रेनेड लांचर (बीजीएल) भी जब्त किए। छोटेबेठिया में मुठभेड़ के एक पखवाड़े बाद, डीआरजी और छत्तीसगढ़ पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) की संयुक्त टीम ने एक बड़ी कार्रवाई में 30 अप्रैल को महाराष्ट्र सीमा से लगे टेकमेटा वन क्षेत्र में प्रतिबंधित संगठन के 10 सदस्यों को मार गिराया था।
मुठभेड़ में मारे गए लोगों में डीवीसी सदस्य जोगन्ना और विनय उर्फ अशोक शामिल हैं। इसके अलावा, करीब नौ घंटे तक चले इस अभियान में मारे गए लोगों में तीन महिला माओवादी कार्यकर्ता भी शामिल हैं। टेकमेटा में मुठभेड़ के लगभग एक सप्ताह बाद, सुरक्षा बलों की अलग-अलग इकाइयों के सैकड़ों कर्मियों ने 10 मई की तड़के बीजापुर जिले के गंगलूर क्षेत्र में एक बड़ा हमला किया। इस अभियान में सीपीआई माओवादी के एक दर्जन कार्यकर्ता मारे गए।
हालांकि मुठभेड़ में माओवादियों के मारे जाने से राज्य में राजनीतिक विवाद शुरू हो गया। जहां कांग्रेस ने आरोप लगाया कि मुठभेड़ में मारे गए लोगों में निर्दोष ग्रामीण भी शामिल हैं। आरोपों के जवाब में उपमुख्यमंत्री और गृह मंत्री विजय शर्मा ने मुठभेड़ में मारे गए माओवादियों के खिलाफ पहले से दर्ज मामलों का विवरण साझा किया।
पीडिया में हुई मुठभेड़ नारायणपुर जिले के अलग-अलग इलाकों और आसपास के सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा बलों द्वारा 23 मई, 7-8 जून और 15 जून को चलाए गए लगातार अभियानों के बाद हुई है, जिसमें 22 माओवादियों को मार गिराया गया।
नारायणपुर के अबूझमाड़ क्षेत्र में इस कड़ी का पहला अभियान 23 मई को बीजापुर और नारायणपुर जिलों के सीमावर्ती क्षेत्रों में शुरू किया गया था। प्रतिबंधित सीपीआई माओवादी की इंद्रावती एरिया कमेटी के सीनियर माओवादी कैडरों की उपस्थिति की सूचना मिलने के बाद यह अभियान शुरू किया गया था, जिसके बाद डीआरजी, एसटीएफ और जंगल युद्ध में प्रशिक्षित छत्तीसगढ़ पुलिस की विशेष इकाई बस्तर फाइटर्स के लगभग 800 कर्मियों के साथ एक बड़ा अभियान शुरू किया गया, जिसमें 7 माओवादी मारे गए।
एक पखवाड़े बाद सुरक्षा बलों ने नारायणपुर के गोवेल और मुंगेडी गांवों के बीच मुठभेड़ के बाद एक अलग ऑपरेशन में सात अन्य माओवादियों को मार गिराया। कई घंटों तक चली मुठभेड़ में तीन डीआरजी जवान भी घायल हुए।
एक हफ़्ते बाद 15 जून को डीआरजी, एसटीएफ और इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) की संयुक्त टीम ने अबूझमाड़ में एक ऑपरेशन चलाया, जिसमें नारायणपुर के कुतुल के धुरबेड़ा और फरसबेड़ा इलाके के बीच हुई मुठभेड़ में नक्सलियों के आठ कैडरों को मार गिराया गया। बताया जाता है कि यह ऑपरेशन 12 जून को शुरू किया गया था, जिसमें एसटीएफ के एक जवान ने भी माओवादियों से लड़ते हुए अपनी जान दे दी थी।