एक जुलाई से सात साल से अधिक की सजा वाले सभी मामलों की जांच एक्सपर्ट टीम करेगी

बिलासपुर। एक जुलाई को पूरे देश में लागू हो रहे नए कानून में किए गए प्रावधान के अनुसार सात साल या उससे अधिक सजा वाले मामलों में जांच का काम न्याय दल को दिया जाएगा। इसमें विवेचक के अलावा फोटो, वीडियो, फिंगरप्रिंट आदि में एक्सपर्ट लोग शामिल रहेंगे। कोर्ट में भौतिक साक्ष्य के आधार पर आरोप सिद्ध करना होगा। संदेही या दोष सिद्ध मुजरिम का फिंगरप्रिंट, फोटो, वीडियो का डेटाबेस भी तैयार कर डिजिटल फॉर्मेट में सुरक्षित रखा जाएगा।

उक्त जानकारी एडिशनल एसपी अर्चना झा और नोडल अधिकारी मंजूलता केरकेट्टा ने रेंज के पुलिस कर्मचारियों को प्रशिक्षण के दौरान दी। पांच दिन तक चले इस प्रशिक्षण में 187 प्रतिभागी शामिल हुए, जो रेंज के आईजी डॉ. संजीव शुक्ला व एसपी रजनेश सिंह के निर्देशन में दिया गया। प्रशिक्षण के दौरान बताया गया कि प्रत्येक अपराध का उद्देश्य सिद्ध करने के लिए भौतिक साक्ष्य महत्वपूर्ण होगा। प्राथमिकता और सावधानी से किया जाना है। रेंज व जिला स्तर पर फिंगरप्रिंट, फोटो वीडियो ग्राफर की कमी के कारण थाना स्तर के कर्मचारी इसे संपादित करेंगे। प्रशिक्षण में प्रत्येक थाने से दो-दो कर्मचारी शामिल थे।

पुलिस मुख्यालय से उक्त प्रशिक्षण के लिए फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट निरीक्षक अजय साहू अंजली मिंज तथा एएसआई विनीता शर्मा को प्रशिक्षक नियुक्त किया गया था। रेंज फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट निरीक्षक विद्या जौहर और पीएचक्यू से नेशनल ऑटोमेटेड फिंगरप्रिंट आईडेंटिफिकेशन सिस्टम ( एनएएफआईएस ) की टीम ने प्रशिक्षण दिया और नमूना घटना स्थल तैयार कर अभ्यास कराया। प्रतिभागियों को घटनास्थल को सुरक्षित कर साक्ष्य संग्रह किए जाने का तरीका बताया गया और विवेचना में सभी तत्वों को शामिल कर न्यायालय तक प्रस्तुत करने और अपलोड करने का तरीका सिखाया गया।

कार्यशाला में रेंज के बिलासपुर से 35, रायगढ़ से 28, कोरबा से 33, जांजगीर से 25, मुंगेली से 17, सक्ती से 18, सारंगढ़-बिलाईगढ़ से 24 तथा गौरेला-पेंड्रा-मरवाही 7 कर्मचारी शामिल हुए। प्रभारी पुलिस अधीक्षक ने सभी को प्रमाण पत्र सौंपा और अच्छी विवेचना कर न्यायालय में प्रकरण प्रस्तुत करने के लिए शुभकामना दी।

कोई जवाब दें

Please enter your comment!
Please enter your name here