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उत्तराखंड, उड़ीसा, और अन्य राज्यों में भारी बारिश और भूस्खलन ने जन-जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। सड़कों का बंद होना, बिजली आपूर्ति में व्यवधान, और तीर्थयात्राओं का स्थगित करना इस मानसून की तीव्रता को दिखा रहा है। केंद्र और राज्य सरकारें राहत और बचाव कार्यों में जुटी हैं, लेकिन मौसम विभाग की चेतावनी के अनुसार, जुलाई में सामान्य से अधिक बारिश की संभावना है, जिससे स्थिति और जटिल हो सकती है। स्थानीय प्रशासन और नागरिकों को सतर्क रहने की आवश्यकता है।
जुलाई महीने की शुरुआत में भारत के उत्तरी और पूर्वी हिस्सों में मानसून ने भारी तबाही मचाई है। उत्तराखंड में भारी बारिश और भूस्खलन के कारण कम से कम 65 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 200 से अधिक सड़कें बंद हो गई हैं। उड़ीसा में भी भारी बारिश ने बाढ़ की स्थिति पैदा कर दी है, जिससे हजारों लोग प्रभावित हुए हैं। अन्य राज्यों जैसे हिमाचल प्रदेश, बिहार, और राजस्थान में भी मानसून की तीव्रता ने जन-जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। यह रिपोर्ट हाल के समाचारों के आधार पर इन आपदाओं और उनके प्रभावों का विश्लेषण करती है।
उत्तराखंड में भूस्खलन और सड़क बंद
उत्तराखंड में 29 जून 2025 को उत्तरकाशी जिले के सिलाई बेंड क्षेत्र में बादल फटने से हुए भूस्खलन ने भारी तबाही मचाई। यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग के पास एक निर्माणाधीन होटल के कैंपसाइट पर भूस्खलन हुआ, जिसमें 29 मजदूर मौजूद थे। इस हादसे में दो मजदूरों की मौत हो गई, सात लापता हैं, और 20 को सुरक्षित निकाला गया। ज्यादातर पीड़ित नेपाली मूल के थे। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ), और स्थानीय पुलिस बचाव कार्य में जुटी है, लेकिन बारिश और कठिन भूभाग ने बचाव कार्य को जटिल बना दिया है। यमुनोत्री राजमार्ग का 10-12 मीटर हिस्सा बह गया, जिससे यातायात पूरी तरह ठप हो गया।
राज्य में 72 से अधिक सड़कें बंद हैं, जिससे कुमाऊं क्षेत्र के 40,000 से अधिक निवासी अलग-थलग पड़ गए हैं। बागेश्वर में सरयू नदी का जलस्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया, जिससे कई गांवों में बिजली आपूर्ति बाधित हुई। चार धाम यात्रा को 24 घंटे के लिए निलंबित कर दिया गया है, और बद्रीनाथ व केदारनाथ मार्ग पर भूस्खलन के कारण तीर्थयात्री फंसे हुए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बचाव कार्यों को तेज करने के निर्देश दिए हैं। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, देहरादून, टिहरी, पौड़ी, हरिद्वार, और नैनीताल जैसे जिलों के लिए रेड अलर्ट जारी किया है, जिसमें 30 जून और 1 जुलाई को भारी बारिश की चेतावनी दी गई है।
उड़ीसा में बाढ़ और राहत कार्य
उड़ीसा के बालासोर और मयूरभंज जिलों में भारी बारिश के कारण सुबर्णरेखा, बूढ़ाबलंगा, जलका, और सोनो जैसी नदियों का जलस्तर बढ़ गया है, जिससे बाढ़ की स्थिति बन गई है। बालासोर में 35 ग्राम पंचायतें प्रभावित हुई हैं, और निचले इलाकों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जा रहा है। उड़ीसा आपदा त्वरित कार्रवाई बल (ओडीआरएएफ) और अग्निशमन सेवा बचाव और राहत कार्य में जुटी है। राज्य सरकार ने प्रशासन को हाई अलर्ट पर रखा है। इसके अलावा, पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान मंदिर के पास हुई भगदड़ में तीन लोगों की मौत और छह के घायल होने की खबर है, जो बारिश से उत्पन्न अव्यवस्था का परिणाम थी।
अन्य राज्यों में प्रभाव
हिमाचल प्रदेश में 129 सड़कें बंद हो गई हैं, खासकर सिरमौर और मंडी जिलों में। शिमला-कालका राष्ट्रीय राजमार्ग पर भूस्खलन से यातायात कई घंटों तक बाधित रहा। बिहार में बिजली गिरने से पांच लोगों की मौत हुई, जबकि गया में छह लड़कियों को एक झरने में अचानक आए उफान से सुरक्षित निकाला गया। राजस्थान के सिरोही में एक कार पानी के तेज बहाव में फंस गई, लेकिन सभी चार लोग सुरक्षित बचाए गए। असम में दिमा हसाओ जिले में भूस्खलन ने रेल और सड़क यातायात को प्रभावित किया। यहां भी दो दर्जन जानें जा चुकी हैं।