बार-बेंच के बीच प्रदेशभर में सामंजस्य के लिए बनेगी गाइड लाइन, अगली सुनवाई दो माह बाद

बिलासपुर। दुर्ग न्यायालय में अपनी मांगों के लिए किये जा रहे आंदोलन के दौरान अदालती कामकाज में बाधा पहुंचाने के मामले में अधिवक्ताओं ने हाईकोर्ट से शपथ-पत्र के साथ आज माफी मांग ली। हाईकोर्ट ने न्यायालयीन कामकाज के दौरान गाइड लाइन तय करने के लिए इस मामले को आगे सुनवाई के लिए जारी रखा है।

मालूम हो कि जिला एवं सत्र न्यायालय दुर्ग के पुराने भवन में सुधार कार्य के लिए कुटुम्ब न्यायालय दुर्ग को अस्थायी रूप से स्थानांतरित किये जाने की कार्रवाई का जिला अधिवक्ता संघ दुर्ग द्वारा बीते दिनों  विरोध किया गया था। इस दौरान आंदोलनकारियों के अशोभनीय एवं अतिरेकपूर्ण विरोध के सम्बन्ध में जिला एवं सत्र न्यायाधीश दुर्ग की ओर से छत्तीसगढ़ उच्च-न्यायालय को पत्र लिखा गया था। पत्र पर हाईकोर्ट ने 17 जनवरी 2020 को पुलिस और कलेक्टर को न्यायिक अधिकारियों, कर्मचारियों तथा इच्छुक अधिवक्ताओं, साक्षियों तथा न्यायालय में आने वाले पक्षकारों को पर्याप्त तथा प्रभावी सुरक्षा देने का निर्देश दिया था। यदि कोई कानून हाथ में लेता है तथा संज्ञेय अपराध कारित करता है तथा इसकी सूचना दी  गई तो पुलिस एफआईआर दर्ज करे तथा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उद्घोषित विधि के अनुसार आगे की कार्रवाई करे।

21 जनवरी को इस मामले की हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी। दुर्ग अधिवक्ता संघ ने उस दिन हाईकोर्ट से बिना शर्त क्षमा याचना की और आंदोलन के दौरान हुई घटना के लिए खेद प्रकट किया। उन्होंने बताया कि दुर्ग अधिवक्ता संघ ने आंदोलन को वापस ले लिया है। दुर्ग अधिवक्ता संघ न्यायिक प्रक्रिया में सहयोग करने के लिए तत्पर हैं। दुर्ग न्यायालय में कार्रवाई सुचारू रूप से चल रही है और ऐसे घटना की पुनरावृत्ति दुबारा नहीं होगी।

हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पी.आर रामचंद्र मेनन एवं जस्टिस पार्थ प्रतीम साहू की युगल पीठ ने दुर्ग अधिवक्ता संघ और उनके सदस्यों को निर्देश दिया था कि वे अपनी सद्भावना को प्रदर्शित करने के लिए शपथ पत्र प्रस्तुत करें।

डबल बेंच में आज इस प्रकरण की सुनवाई हुई। राज्य शासन की ओर से महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा और दुर्ग बार एसोसियेशन की ओर से अधिवक्ता संदीप दुबे कोर्ट में उपस्थित हुए।

दुर्ग बार के पदाधिकारियों ने शपथ-पत्र देकर  कहा कि कुछ अधिवताओं ने आंदोलन के दौरान कुछ ऐसी भाषा का प्रयोग किया जो अविवेकपूर्ण और अतिरेकपूर्ण थे। इसके लिए दुर्ग बार एसोसियेशन क्षमा मांगता है साथ ही वचन देता है कि इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति नहीं होगी।

आज उच्च न्यायालय ने शपथ-पत्र के आधार पर आगे की कार्रवाई पर रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा कि बार व बेंच एक रथ के दो पहिये हैं। इस प्रकार की घटना का समाज में दुष्प्रभाव पड़ता है। हम इस उम्मीद पर आगे कार्रवाई पर विराम लगाते हैं कि ऐसी घटना फिर नहीं दोहराई जायेगी। हालांकि कोर्ट ने इस मामले के संदर्भ में आगे सुनवाई जारी रखने का निर्णय लिया है। इसकी सुनवाई दो माह बाद होगी, जिसमें बार व बेंच के बीच सामंजस्य के लिए सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के अनुरूप गाइड लाइन तय किया जायेगा। इस गाइड लाइन को पूरे प्रदेश में लागू भी किया जायेगा।

 

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