अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेन्द्र कुमार ने बुधवार पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि…
सरकार मजदूरों को सुविधा नहीं दे सकती तो छीनें नहीं। भारत सरकार मजदूरों के संघर्ष पर आयोजित श्रम कानूनों में व्यापक परिवर्तन कर रही है, जिससे मजदूरों का शोषण बढ़ेगा और पूंजीपति कारपोरेट अमीर होते जाएंगे। चुनावी वादों में सरकार ने कहा था कि सरकार हर वर्ष 2 करोड़ बेरोजगारों को रोजगार देगी। लेकिन रिपोर्ट के आधार पर पिछले वर्ष 1 लाख 67 हजार युवाओं को रोजगार के अवसर मिले है। काला धन विदेशों से लाकर देश के हर नागरिक के खाते में 15 लाख रुपए डालने के मामले में सरकार उलटा फंस गई, देश के कई लुटेरे काला धन लेकर विदेश भाग गए। उन्होंने कहा कि सरकार ने केवल कार्पोरेट का विकास किया है।
सरकार के शासन काल में किसानों की आत्महत्या बढ़ी, विदेशी निवेश में गिरावट आई, औसत कृषि विकास 4 वर्ष में घटकर 5.2 से 2.4 हो गई है। स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा दिनों दिन बहुत महंगी होती जा रही है। इससे गरीब बच्चों को उच्च शिक्षा में दाखिला लेना मुश्किल हो गया है। बैंक सेक्टर की बात करें तो, 19 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में दो बैंक इंडियन बैंक एवं विजया बैंक मुनाफे में है शेष 17 सरकारी बैंक का घाटा 31 मार्च 2018 तक 79 हजार करोड़ हो गया है। इस दौरान एसईसीएल के महामंत्री हरिद्वार सिंह और कोल इंडिया वेलफेयर बोर्ड के सदस्य कामरेट अशोक यादव भी उपस्थित थे।
रमेन्द्र कुमार ने आगे कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र को सरकार की देखरेख में नष्ट करना, कोयला खदान में कमर्शियल माइनिंग का सरकार का फैसला कोयला उद्योग को बर्बाद करने वाला है। इससे कालाधन पैदा होगा तथा मजदूरों का शोषण होगा। कोयला खदान में ठेका से मजदूरों का बड़े पैमाने पर शोषण हो रहा है। प्रबंधन एवं ठेकेदार मिलकर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार में लिप्त है, खदानों में दुर्घटना की वृद्धि हो रही है, मजदूरों की भर्ती बंद है, उत्पादन लक्ष्य बढ़ाया जा रहा है। 1971 एवं 1973 में वामपंथियों के दबाव में कोयला खदान बैंकों का राष्ट्रीयकरण 1969 में हुआ था, मौजूदा सरकार पुनः इन संस्थाओं को निजी हाथों में सौंपने चाहती है, इससे मजदूरों की जिंदगी बर्बाद हो जाएगी, उनके लिए काला दिन आ जाएगा। सरकार के इस रवैये के खिलाफ हजारों कोयला कर्मचारी 9 अगस्त को एसईसीएल मुख्यालय में सुबह 11 बजे प्रदर्शन करेंगे।