बिलासपुर। जिले के सर्वाधिक प्रवासी मजदूरों वाले मस्तूरी तहसील में आज फिर एकाएक संक्रमण के 14 मामले सामने आये हैं। बिलासपुर शहर में कल दो जूनियर डॉक्टरों सहित 10 केस सामने आये थे जिसके चलते शहर के कई प्रमुख मार्गों में कंटेनमेंन्ट जोन बना दिये गये हैं। यहां का 100 बिस्तर वाला कोविड अस्पताल कुछ ही दिनों के भीतर पूरी तरह भर जाने के कगार पर पहुंच चुका है।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा आज जारी रिपोर्ट के मुताबिक जिले में कोविड -19 के 14 नये केस आये हैं। ये सभी मस्तूरी तहसील से हैं। मस्तूरी जिले का सर्वाधिक कोरोना प्रभावित क्षेत्र के रूप में उभर रहा है। अकेले इसी तहसील से 35 हजार से अधिक प्रवासी मजदूर देश के विभिन्न हिस्सों में काम के लिये निकले थे, जिनमें से आधे लौट चुके हैं। आज मिले 7 मरीजों को संभागीय कोविड अस्पताल में भर्ती किया गया है तथा 7 को एम्स रायपुर रेफर किया गया है। 100 बेडेड बिलासपुर कोविड अस्पताल में पहले से ही 73 मरीजों का इलाज चल रहा था। अब यहां मरीजों की संख्या बढ़कर 80 हो चुकी है। यह स्थिति तब है जब यहां से 24 मरीजों को उपचार के बाद डिस्चार्ज किया जा चुका है और ज्यादा गंभीर मरीजों को यहां भरती न कर रायपुर रेफर किया जा रहा है।
कोविड अस्पताल की सिविल सर्जन डॉ. मधुलिका सिंह ठाकुर ने बताया कि कोरोना मरीजों को उपचार के लिये हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन, सिप्रोमाइसिन एंटीबाइटिक, एडॉक्सी, विटामिन सी तथा जिंक दवाओं के रूप में दिया जा रहा है। अधिकांश मरीजों पर इसका अच्छा असर हो रहा है, पर कुछ मरीज 15 दिनों से भर्ती हैं जिनकी रिपोर्ट निगेटिव नहीं आ रही है। आज 8 मरीजों को स्वस्थ होने के बाद डिस्चार्ज किया गया है। इनमें छह पुरुष तथा दो महिलाएं हैं।
बिलासपुर शहर भी कोरोना के चपेट में है और कई मोहल्लों में इसके चलते कंटेनमेन्ट जोन बनाये गये हैं। गुरुवार को सिम्स के दो जूनियर डॉक्टरों को कोरोना संक्रमित पाया गया। पहले भी दो डॉक्टर और एक नर्स को कोरोना संक्रमित पाया जा चुका है। कल जिले के जो 17 केस आये उनमें से 10 बिलासपुर के हैं। ये केस जूना बिलासपुर, विनोबानगर, सरकंडा, कुदुदंड और कोनी इलाकों से हैं। संक्रमण के मामलों के कारण बनाये गये कंटेनमेन्ट जोन में नगर निगम द्वारा बेरिकेड्स लगाये गये हैं और पुलिस ने निगरानी कर रखी है। बढ़ते मामलों के कारण पहले ही बिलासपुर ग्रीन से रेड जोन में शामिल किया जा चुका है। बिलासपुर शहर से प्रवासी मजदूरों की संख्या कम है लेकिन ऐसे लोग हैं जो दूसरे प्रदेशों से लौटे हैं। इनमें एक नर्स के अलावा कुछ छात्र हैं।