बिलासपुर। हाईकोर्ट में अरपा नदी के किनारों पर प्रस्तावित सड़क और सौंदर्यीकरण और इससे प्रभावित होने वालों की समस्या पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने अगले चरण में होने वाली मकान-झोपड़ियों पर कोई स्थगन नहीं दिया है। अटल आवासों से बेदखल किये गये लोगों को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई पूरी हो गई है, जिसका फैसला आगामी दिनों में आ सकता है।
स्मार्ट सिटी योजना के अंतर्गत अरपा नदी के किनारे सड़कों का प्रस्ताव है, जिस पर नगर निगम इस समय काम कर रही है। तिलकनगर में सड़क के किनारे बसे लोगों को हटाया जा चुका है। अगले चरण में गोंडपारा में यह कार्रवाई होने वाली है। इसके ख़िलाफ लगाई गई याचिका पर आज सुनवाई हुई। जस्टिस पी. सैम कोशी की कोर्ट ने नगर निगम और जिला प्रशासन को निर्देश दिया है कि जो विस्थापित किये जा रहे हैं उनके व्यवस्थापन की पूरी व्यवस्था की जाये। याचिका में बेदखली रोकने की मांग की गई थी और यह बताया गया था कि जहां वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है वहां मूलभूत सुविधायें उपलब्ध नहीं है।
अरपा परियोजना से विस्थापित होने वाले परिवारों को अटल आवासों में शिफ्ट करने के लिये बहतराई, सरकंडा इलाके के अनेक परिवारों को बेदखल किया गया है जो पहले से वहां रह रहे थे। नगर निगम की इस कार्रवाई के ख़िलाफ दायर की गई याचिका पर भी आज हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखा गया है, जिस पर आगामी कुछ दिनों में फैसला आने की संभावना है। याचिकाकर्ता अधिवक्ता प्रियंका शुक्ला और आकाश कुंडू की ओर से कोर्ट में कहा गया कि नोटिस ठीक उस सम दी गई जब उन्हें बेदखल किया जाना था। वे यह मानते हैं कि अनेक लोग अवैध तरीके से इन मकानों में रह रहे थे पर अधिकांश लोगों ने चार-पांच साल पहले से आवास आबंटन के लिये आवेदन देकर रखा था। इन आवेदनों पर नगर-निगम ने कोई निर्णय नहीं लिया और दो चार दिन की नोटिस देकर सबको सड़क पर ला दिया। ये सभी गरीब परिवार के हैं जिन्हें आवास प्राप्त करने की पात्रता है।
शासन की ओर से कहा गया कि केवल 35 लोग इस कार्रवाई के कारण बेदखल हुए हैं, जिनको अस्थायी आवास दिया जा चुका है। याचिकाकर्ताओं ने इस दावे को गलत बताया है।