सुनवाई के लिये वाट्स एप वीडियो चैट की भी अनुमति
बिलासपुर । छत्तीसगढ़ में कल 11 जुलाई को देश की पहली वर्चुअल लोक अदालत रखी गई है। हाईकोर्ट सहित प्रदेश भर के विभिन्न जिलों की 200 से ज्यादा खंडपीठों में 3500 से ज्यादा मामलों पर एक साथ सुनवाई होने जा रही है। उद्घटान कार्यक्रम कल सुबह 10.30 बजे हाईकोर्ट सभागार में रखा गया है।
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छत्तीसगढ़ विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष जस्टिस प्रशांत मिश्रा ने आज अपराह्न पत्रकारों को यह जानकारी दी। जस्टिस मिश्रा ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते देशभर में न्यायिक कामकाज पर विपरीत असर पड़ा है। न सिर्फ वकीलों बल्कि पक्षकारों को भी राहत नहीं मिल रही है। मोटर दुर्घटना दावा प्रकरण, चेक बाउन्स प्रकरण आदि धन सम्बन्धी अनेक मामलों पर प्रायः लोक अदालतों में समझौता हो जाता है। कोरोना के चलते जब लोग आर्थिक संकट से जूझ रहे हों तो ऐसे मामलों के निराकरण के लिये छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट व विधिक सेवा प्राधिकरण ने वर्चुअल लोक अदालत लगाने का निर्णय लिया है। हाईकोर्ट के डिजिटल सेक्शन तथा एनआईसी से विचार विमर्श के बाद इस नतीजे पर पहुंचा गया कि कुछ व्यवहारिक दिक्कतों को दूर कर लोक अदालतों के जरिये लम्बित प्रकरणों की सुनवाई की जा सकती है। पिछले 20 दिनों से इसकी तैयारी की जा रही थी और इसका रिहर्सल भी कर लिया गया है। समझौता करने के इच्छुक पक्षकारों से हस्ताक्षर युक्त आवेदन लिये जा चुके हैं, जिनकी सुनवाई कल सुबह 10.30 बजे से होगी। हाईकोर्ट ऑडिटोरियम में इसका उद्घाटन चीफ जस्टिस पी.आर रामचंद्र मेनन करेंगे। जस्टिस गौतम भादुड़ी व जस्टिस मनीन्द्र मोहन श्रीवास्तव भी उपस्थित रहेंगे। इस कार्यक्रम की लाइव स्ट्रीमिंग भी की जायेगी।
वर्चुअल लोक अदालत में पक्षकार और वकील अपने-अपने स्थान पर दिये गये लिंक के माध्यम से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये कोर्ट से जुड़ सकेंगे। फायदा यह होगा कि सामान्य लोक अदालतों में पक्षकार, वकीलों को कोर्ट तक आना पड़ता है वहीं इस नेशनल लोक अदालत में वे अपने सुविधाजनक स्थान, घर या दफ्तर में रहकर सुनवाई में भाग ले सकते हैं। इसमें उनकी यात्रा पर होने वाला खर्च और समय बचेगा।
जिलों में इंटरनेट कनेक्टिविटी के कारण सुनवाई में बाधा आ सकती है. पूछे जाने पर जस्टिस मिश्रा ने कहा कि कोर्ट की ओर से कहीं पर दिक्कत नहीं आयेगी। प्रत्येक जिले को 20 जीबी का डेटा अलग से खरीदकर एलॉट किया गया है। एनआईसी इसकी मॉनिटरिंग करेगी। पक्षकारों और वकीलों को यदि वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़ने में दिक्कत हुई तो उन्हें भी सुविधा दी गई है कि वे वाट्सअप वीडियो काल करके अपना पक्ष रख सकें।
जस्टिस मिश्रा ने कहा कि जब वीडियो कांफ्रेंसिंग से कोर्ट में बहस हो सकती है तो समझौता क्यों नहीं? वर्चुअल लोक अदालत आयोजित करने का निर्णय चुनौती भरा है और हम देश में पहली बार किये जा रहे इस प्रयोग की सफलता के लिये आश्वस्त हैं। नालसा (राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण) सहित पूरे देश के न्यायिक क्षेत्रों में कल छत्तीसगढ़ में होने जा रही वर्चुअल लोक अदालत को लेकर उत्सुकता है। अच्छा परिणाम आने पर देश के दूसरे राज्यों में भी इसका प्रयोग किया जा सकता है।