निजी स्कूल एसोसियेशन की याचिका पर हाईकोर्ट का आदेश
बिलासपुर । हाईकोर्ट ने निजी स्कूलों की याचिका पर फैसला देते हुए उन्हें ट्यूशन फीस वसूलने की अनुमति तो दे दी है लेकिन साथ ही यह सुनिश्चित करने कहा है कि आर्थिक संकट के कारण जो अभिभावक फीस जमा नहीं कर सकते हैं उनको छूट दी जाये। फीस में कोई बढ़ोतरी न की जाये और किसी भी स्टाफ को नौकरी से नहीं निकाला जाये, उनका वेतन देना सुनिश्चित किया जाये साथ ही सभी बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई का लाभ मिले।
22 निजी स्कूलों के संचालकों के संगठन बिलासपुर प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसियेशन की ओर से राज्य शासन के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। राज्य शासन ने कहा था कि कोरोना संक्रमण के कारण जब तक स्कूल बंद हैं बच्चों को ट्यूशन फीस नहीं लिया जाये साथ ही स्टाफ को वेतन देना सुनिश्चित करें। जस्टिस पी. सैम कोसी की कोर्ट में मामले की अंतिम सुनवाई बीते 9 जुलाई को हुई थी जिस पर आज फैसला आ गया है।
अपने 14 पेज के आदेश में कोर्ट ने स्कूल प्रबंधकों को ट्यूशन फीस लेने की अनुमति तो दी है साथ ही यह भी निर्देश दिया है कि इस दौरान किसी भी स्टाफ को नौकरी से नहीं निकाला जायेगा, साथ ही उन्हें नियमित रूप से वेतन भी दिया जायेगा। बकाया और वर्तमान ट्यूशन फीस के अलावा कोई दूसरी फीस भी वे नहीं ले सकेंगे। साथ ही फीस में इस दौरान वृद्धि भी नहीं कर सकेंगे। कोर्ट ने यह भी कहा है कि जो अभिभावक वास्तविक आर्थिक संकट के कारण फीस पटाने में सक्षम नहीं है उन्हें फीस से छूट दी जाये। इसके लिये स्कूल प्रबंधन को मापदंड तय करना चाहिये। अभिभावकों को व्यक्तिगत रूप से स्कूल प्रबंधक के सामने उपस्थित होना पड़ेगा और अपनी आय का विवरण देकर बताना होगा कि वे इस समय फीस देने में सक्षम नहीं हैं।
ज्ञात हो कि कोरोना संकट के बीच लाकडाउन की अवधि में संचालक लोक शिक्षण संचालनानलय रायपुर के द्वारा फीस स्थगित रखने के संबंध में एक अप्रैल सभी प्राईवेट स्कूलों के लिये निर्देश जारी किया गया था। याचिका में यह बताया गया था कि निजी शालाएं सीबीएसई से मान्यता प्राप्त हैं। फीस लेने पर रोक लगाना उनकी व्यावसायिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप है। याचिका में जो अभिभावक ट्यूशन फीस देने में सक्षम हैं उनसे फीस लेने की अनुमति देने की भी मांग की गई थी।