केन्द्रीय विश्वविद्यालय में ऑनलाइन संस्कृत सप्ताह का समापन

बिलासपुर। गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय में एक सप्ताह के संस्कृत सप्ताह महोत्सव का समापन हुआ।

समारोह के मुख्य अतिथि व वक्ता चिन्मय विश्व विद्यापीठ केरल के व्याकरण के जाने माने आचार्य डॉ. तुलसी कुमार जोशी ने प्रसंग एवं प्रासंगिकता पर बल देते हुए मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में संस्कृत भाषा की उपयोगिता के महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि हमारे ग्रंथों में जीवन शैली के सभी प्रारूप उपलब्ध हैं जिन्हें हमें अपनाना चाहिए।

अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति प्रो. अंजिला गुप्ता ने कहा कि संस्कृत भाषा विश्व की सर्वाधिक वैज्ञानिक भाषा है। अंतरिक्ष में संस्कृत उसी प्रारूप में पहुंचती है जैसा कि उसे भेजा जाता है। यह गुण विश्व की अन्य की भाषा में नहीं है। उन्होंने आव्हान किया कि संस्कृत को औपचारिकता के तौर पर ही ग्रहण न करें बल्कि इसे समाजोपगी साधन के रूप में प्रयोग में लायें। वेद, ज्ञान, विज्ञान, पुराण, शास्त्र आदि विभिन्न धाराएं भारत ही नहीं वरन् समस्त विश्व का मार्ग प्रशस्त करने में सक्षम हैं।

समापन में विशिष्ट अतिथि केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय त्रिपुरा के डा गणेश्वर नाथ झा ने बताया कि संस्कृत भाषा को दुनिया में चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में लैंग्वेज थैरेपी के लिए जाना जाता है। लोकोपकार के विभिन्न पहलूओं में संस्कृत भाषा का विशिष्ट योगदान रहा है। विशिष्ट वक्ता आचार्य मनीष शर्मा ने संस्कृत राष्ट्र गौरव के प्रतीक के रूप में किस प्रकार स्थापित है इस विषय पर विचार रखा।

ऑनलाइन प्लेटफार्म गूगल मीट पर 31 जुलाई से 6 अगस्त  तक आयोजित इस कार्यक्रम के संयोजक इतिहास के सहायक प्राध्यापक डॉ. घनश्याम दुबे थे।

समापन कार्यक्रम मंगलाचरण एवं स्वागत गीत के साथ हुआ जिसकी प्रस्तुति चिराग आचार्य एवं अभिनव जोशी ने दी। कार्यक्रम का परिचय एवं रूपरेखा संयोजक डॉ. घनश्याम दुबे ने दी।  धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव प्रो. शैलेन्द्र कुमार ने किया। इस ऑनलाइन साप्ताहिक संस्कृत महोत्सव में देश के विभिन्न राज्यों के संसथानों से लगभग 50 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

इस साप्ताहिक महोत्सव में आशुभूषण एवं संस्कृत श्लोक पाठ प्रतियोगिता रखी गई। प्रतियोगिता में देश के विभिन्न राज्यों-  त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और केरल के 17 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। आशुभाषण प्रतियोगिता में प्रथम त्रिपुरा के गोपाल कृष्ण दास,  द्वितीय छत्तीसगढ़ बिलासपुर के मयंक पाण्डेय एवं त्रिपुरा के काली प्रसाद आचार्य एवं तृतीय स्थान पर त्रिपुरा की श्रुतिलेखा साहू रहीं। संस्कृत श्लोक कंठ पाठ प्रतियोगिता में प्रथम  अभिनव जोशी महाराष्ट्र, द्वितीय अमित उपाध्याय उत्तर प्रदेश एवं चिराग आचार्य महाराष्ट्र तथा तृतीय स्थान पर बिलासपुर के  देवरतन रहे।

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