बिलासपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा आज लिये गये एक महत्वपूर्ण फैसले में सिम्स के डीन और जिला अस्पताल की सिविल सर्जन को हटाते हुए कमिश्नर डॉ. संजय अलंग को को जांच का निर्देश दिया है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बिलासपुर स्थित सिम्स के डीन तथा जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन को तत्काल उनके पद से हटाए जाने के निर्देश दिए हैं। यह कार्रवाई बिलासपुर स्थित सिम्स में कोरोना आपदा के दौरान प्रबंधन में लापरवाही और अव्यवस्था के कारण की गई है। मुख्यमंत्री ने आयुक्त बिलासपुर को सिम्स की अव्यवस्था के संबंध में प्राप्त रिपोर्ट पर तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित करने तथा आगामी 15 दिनों में सभी कमियों को दूर कराने के निर्देश दिए हैं।
गौरतलब है कि कोरोना संकट काल में सिम्स बिलासपुर की अव्यवस्था के संबंध में मिली शिकायत के मद्देनजर राज्य शासन ने स्वास्थ्य संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला के नेतृत्व में पांच वरिष्ठ अधिकारियों की एक जांच समिति गठित कर मामले की जांच कराई थी। जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में सिम्स में व्याप्त कई कमियों का उल्लेख किया।
रिपोर्ट में सिम्स बिलासपुर में प्रबंधन हेतु एक सक्षम अधिकारी के नेतृत्व में नियंत्रण दल गठित करने, सिम्स और जिले के डेडिकेटेड कोविड हास्पिटल और स्वास्थ्य विभाग के बीच समन्वय स्थापित करने हेतु वरिष्ठ अधिकारी को प्रभारी अधिकारी का दायित्व सौपने का सुझाव दिया गया है। जिले के स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा अलग आइसोलेशन पॉलिसी के अनुसार अवकाश लिया जाना, वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा कोविड-19 प्रबंधन संबंधी व्यवस्थाओं की नियमित समीक्षा न करना, ओपीडी के प्रबंधन तथा इंफेक्शन नियंत्रण प्रोटोकाल सहित कई मामलों में उदासीनता बरतने का उल्लेख समिति ने अपनी रिपोर्ट किया है।
इस बारे में कमिश्नर डॉ. संजय अलंग से लगातार बात करने का प्रयास किया गया लेकिन उन्होंने कोई बात नहीं की।
सिम्स के डीन डॉ. ए के पात्रा ने “bilaspurlive” को बताया कि हमारे पास जितने स्टाफ हैं उनसे अधिकतम कार्य लिये जा रहे हैं। स्टाफ की कमी की बात जांच समिति के सामने रखी गई थी, जिसके बाद सीएमएचओ कार्यालय से 12 कर्मचारी भेजे गये। इनका कोरोना टेस्ट कराया गया तो चार की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। शेष 8 लोगों से तुरंत टेस्टिंग का काम लेना मुमकिन नहीं था। उन्हें तीन दिन प्रशिक्षण दिया गया। अब हमारे स्टाफ काम कर रहे हैं। यह पूछे जाने पर कि आपको हटा दिया गया है अब आपका काम क्या होगा। उन्होंने कहा कि वे माइक्रो बॉयोलॉजी विभाग के प्रोफेसर हैं वहां अपना काम करेंगे। डॉ. पात्रा ने कहा कि कम संसाधनों के बावजूद पूरी टीम अपना बेहतर प्रदर्शन कर रही है। हम किसी भी जांच के लिये तैयार हैं। हमने ख़ामियों के बारे में राज्य स्तर पर सभी जानकारी साझा की है। सिम्स चिकित्सालय की पीआरओ डॉ. आरती पांडेय ने कहा कि किसी भी जांच में किसी को कोई समस्या नहीं है। हम अपने परिवार और निजी समस्याओं को किनारे रखकर 18 घंटे तक काम कर रहे हैं।
इस बारे में संभागीय कोविड अस्पताल की प्रभारी डॉ. मधुलिका सिंह से बात नहीं हो पाई है।
कोविड-19 के दोनों महत्वपूर्ण संस्थानों से प्रमुखों को हटाये जाने के बाद इनका प्रभार किनको दिया जायेगा, यह शासन के आदेश में स्पष्ट नहीं किया गया है।
दोनों ही संस्थानों की अव्यवस्थाओं को लेकर अनेक कांग्रेस नेताओं ने राज्य स्तर पर शिकायतें की थीं। जांच के आदेश में इसका प्रभाव दिखाई देता है। हालांकि कमिश्नर की जांच रिपोर्ट के बाद दोनों जगहों पर व्यवस्था सुधरती है यह नहीं यह बाद में पता चलेगा।