नई दिल्ली: आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि, अर्थव्यवस्था में मंदी और कृषि कानून  को लेकर किसानों के प्रदर्शन के बीच कांग्रेस लगातार सरकार पर निशाना साध रही है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसानों के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सोमवार को एक बार फिर निशाने पर लिया.राहुल गांधी ने तंज कसते हुए कहा, “देश के किसानों ने मांगी मंडी. प्रधानमंत्री ने थमा दी भयानक मंदी.” बता दें कि आसमान छूती महंगाई के बीच देश की अर्थव्यवस्था आर्थिक सुस्ती के दौर से गुजर रही है.कांग्रेस ने रविवार को सरकार से कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने और महंगाई पर रोक लगाने के लिए बाजार में खाद्य वस्तुओं का पर्याप्त भंडार उपलब्ध कराने को कहा. कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने प्याज और आलू की कीमतों के आसमान छूने का जिक्र करते हुए कहा कि यह 10 साल में अपने उच्चतम स्तर पर है.उन्होंने सरकार पर अनजान बने रहने का आरोप लगाया. साथ ही, यह आरोप भी लगाया कि सरकार भंडार को सड़ा रही है और इसका खामियाजा लोग भुगत रहे हैं.

प्याज की कीमतें थामने को सरकार ने उठाए कदम

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पिछले हफ्ते कहा कि प्याज की बढ़ती महंगाई से ग्राहकों को निजात दिलाने के लिए एक लाख टन का बफर स्टॉक जारी किए जाने समेत अलग-अलग कदम उठाए जा रहे हैं.तोमर ने बताया, “प्याज के दाम बढ़ने का मामला सरकार के संज्ञान में है. राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नाफेड) के पास मौजूद प्याज का एक लाख टन का बफर स्टॉक जारी किया जा रहा है. उन्होंने कहा, “हमने समय से पहले ही देश से प्याज के निर्यात पर रोक लगा दी है, जबकि इसके आयात के रास्ते खोल दिए गए हैं.”

विशेषज्ञों की क्या है राय

आलू और प्याज के दाम आज आम लोगों की पहुंच से दूर हो रहे हैं. कोविड-19 की वजह से आम लोग पहले ही काफी संकट में हैं, इन सब्जियों की कीमतों में आए उछाल से उनकी परेशानी और बढ़ गई है.कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि आवश्यक जिंसों की कीमतों में तेजी, मजदूरी में गिरावट और बेरोजगारी बढ़ने की वजह से सरकार के राहत उपायों के बावजूद आज गरीब परिवारों की स्थिति काफी खराब है.विशेषज्ञों ने कहा कि सिर्फ दिहाड़ी मजदूर और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग ही नहीं, बल्कि एक मध्यमवर्गीय परिवार के लिए भी पिछले कुछ सप्ताह के दौरान आलू, प्याज कीमतों में आए उछाल की वजह से अपने रसोई के बजट का प्रबंधन करना मुश्किल हो रहा है.

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