बिलासपुर. आईपीएस जीपी सिंह का विवादों से नाता रहा है। उन्होंने बस्तर एसपी रहते आईजी के घर ही छापा मरवा दिया था। उन पर जूनियर आईपीएस राहुल शर्मा की हत्या का भी इल्जाम लगा था। सीबीआई की जांच में आईजी संदेही रहे। हालांकि बाद में सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट दे दी। वहीं, आठ महीने पहले मामले में राज्य शासन ने एक टीम का गठन किया है। पांच सदस्यीय टीम मामले की जांच कर रही है। गुरूवार को एसीबी की टीम ने एडीजीपी जीपी सिंह के ठिकानों पर कार्रवाई कर रही है। इसके साथ आईपीएस राहुल शर्मा की आत्महत्या का मामला एक बार फिर से चर्चा में आ गया है। मार्च 2012 में बिलासपुर जिले के तत्कालीन एसपी राहुल शर्मा ने आफिसर्स मेस में कथिम रूप से खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। इसके बाद पुलिस ने मौके से सुसाइड नोट भी जब्त किया था। इसमें उन्होंने बॉस का जिक्र किया था। इसके बाद तत्कालीन आईजी जीपी सिंह पर आरोप लगे थे। मामले में सीबीआई ने जांच की थी। इसमें कुछ भी स्पष्ट नहीं हो सका। इसके बाद सीबीआई ने न्यायालय में क्लोजर रिपोर्ट पेश कर दी थी। नवंबर 2020 में राज्य शासन ने मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय टीम का गठन किया है। डीजीपी जेल संजय पिल्ले को टीम का अध्यक्ष बनाया गया है। इस टीम में सरगुजा के तत्कालीन आईजी व वर्तमान में बिलासपुर आईजी रतनलाल डांगी, बिलासपुर के तत्कालीन आईजी दीपांशु काबरा, जोनल एसपी अर्चना झा, बिलासपुर एसपी प्रशांत अग्रवाल को शामिल किया गया है। मामले में टीम ने अब तक दो बैठकें की हैं।