सुप्रीम कोर्ट के आदेशों व राज्य शासन की गाइडलाइन का पालन करने सालसा ने तैयार किया पायलट प्रोजेक्ट
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर एवं जेल विभाग रायपुर के संयुक्त तत्वावधान में एक अभियान ‘उन्मुक्त’ शुरू किया गया है। इसके अंतर्गत उन दोष सिद्ध सजायाफ्ता बंदियों को रिहा किया जाएगा, जो राज्य शासन द्वारा बनाई गई नीति के अनुसार समय से पहले रिहाई के पात्र हैं।
यह अभियान उच्चतम न्यायालय द्वारा पक्षकार सोना धर विरुद्ध छत्तीसगढ़ राज्य के संदर्भ में दिए गए आदेश के आधार पर शुरू किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य को यह दायित्व सौंपा है कि एक अगस्त 2021से पायलट प्रोजेक्ट को लागू कर पात्र दोष सिद्ध बंदियों को रिहा करने की कार्रवाई सुनिश्चित करें।
छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव सिद्धार्थ अग्रवाल ने बताया कि सालसा के कार्यपालक अध्यक्ष जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा इस अभियान की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं। राज्य के सभी जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों के जिला अध्यक्ष व जिला न्यायाधीशों को आदेश दिया गया है कि वे जेल प्रशासन की आवश्यक मदद करें।
यह अभियान चार प्रमुख चरणों से गुजरेगा। पहले चरण में दोष सिद्ध बंदियो की पहचान करते हुए उनकी ओर से आवेदन लिया जाएगा और आवश्यक दस्तावेज संकलित कर उन्हें रिहा करने की कार्रवाई की जाएगी। यदि किसी पात्र बंदी का आवेदन निरस्त किया जाता है तब राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा ऐसे बंदियों की ओर से अपील की कार्रवाई के लिए विधिक सहायता सुनिश्चित की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि अमरनाथ विरुद्ध छत्तीसगढ़ शासन के प्रकरण में दिए गए आदेश के तहत सालसा के कार्यपालक अध्यक्ष जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा ने जिला न्यायालय में पदस्थ न्यायिक अधिकारियों को पूर्व से ही यह निर्देश दिया है कि वह दोष सिद्ध बंदियों को धारा 432-2, सीआरपीसी के अंतर्गत रिहा करने के लिए अभिमत दें और यह कार्रवाई तीन माह के भीतर पूरी करें।