बिलासपुर। मस्तूरी ब्लॉक के कई गांवों में शनिवार को कुछ अधिकारी पहुंचे और वहां से 15-20 बच्चों को बस में भरकर चलते बने। आज अपने बच्चों की तलाश में माता-पिता कलेक्ट्रेट आए थे, मगर उन्हें निराशा हाथ लगी। शाम को जिला पुलिस की ओर से जारी प्रेस-नोट में बताया गया है कि इन बच्चों को एसपी के निर्देश पर पुनर्वास केन्द्रों में लाकर रखा गया है, जिनकी संख्या 41 है।

कलेक्ट्रेट पहुंची गीताबाई जफर शाह, तबस्सुम, दिलीप शाह, अजमल शाह, राकेश साहू आदि ने बताया कि वे लूतरा शरीफ, लगरा, सीपत आदि गांवों से आये हैं। उन्होंने कलेक्टर से मुलाकात करने की कोशिश की लेकिन उनके नहीं मिल पाने पर वे एसपी ऑफिस गए। वहां उनकी मुलाकात एएसपी रोहित झा से हुई। उन्होंने अधीनस्थ अधिकारियों से पूछताछ करने के बाद बताया कि बच्चों को बाल कल्याण समिति जो महिला बाल विकास विभाग के अधीन काम करती है के सदस्य लेकर गए हैं क्योंकि वे भीख मांगते थे। पीड़ितों की मदद के लिए पहुंची अधिवक्ता प्रियंका शुक्ला इन ग्रामीणों को लेकर बाल कल्याण समिति के दफ्तर पहुंची, मगर वहां पर कोई भी नहीं मिला, न ही माता-पिता अपने बच्चों से मुलाकात कर पापये।

आवेदकों ने एक शिकायत सीपत थाने में लिखकर दी थी और आज एसपी ऑफिस में भी दी। पर उनकी शिकायत पर ना तो एफ आई आर दर्ज की गई है न ही पुलिस ने उन्हें अपने बच्चों से मुलाकात कराने की व्यवस्था की। अधिवक्ता प्रियंका शुक्ला का कहना है कि यदि बच्चों को भीख मांगने या किसी अन्य वजह से सीडब्ल्यूसी ने पकड़ा भी है तो पहले उनके माता पिता की सहमति लेनी चाहिए थी। यह बच्चे 3 साल से लेकर 10 साल की उम्र के है। इन्हें बिना मां-बाप की मर्जी से उनके घर से कैसे उठाकर ले जाया सकता है? इन्हें किस जुर्म पर को पकड़ा गया यह भी पता नहीं है। इतने छोटे बच्चे अपराध भी क्या कर सकते हैं? इनके साथ कुछ भी अपनी घटना घटती है तो इसके लिए जिम्मेदार कौन होगा यह सवाल बना हुआ है।

इस संबंध में जब एएसपी रोहित झा जिनसे ग्रामीणों ने मुलाकात की, पूछे जाने पर कहा कि चाइल्ड लाइन वाले इन बच्चों को लेकर गये हैं।

इसके बाद आज शाम जारी किये गये प्रेस नोट में पुलिस ने बताया है कि 31 अगस्त से लेकर 6 सितंबर तक कुल 41 बच्चों को बाल कल्याण समिति के आदेश से पुनर्वास केन्द्र व बाल देखरेख संस्था में रखा गया है। जिले में बढ़ रहे बाल श्रमिक, अपशिष्ट संग्राहक व भिक्षावृत्ति में लिप्त तथा घुमन्तू बच्चों की पहचान कर उन्हें संरक्षण प्रदान करने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट, केन्द्र व राज्य सरकार की ओर से समय-समय पर जारी निर्देशों के पालन करने के लिये पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार झा के निर्देश पर यह कार्रवाई की गई है। इनमें 27 बालिका और 14 बालक हैं। यह अभियान बच्चों को पढ़ा लिखाकर शिक्षित करने तथा उनका जीवन स्तर बढ़ाने के लिये चलाया गया है ताकि वे भविष्य में वे अपराध न करें और अपने जीवन-यापन का साधन बना सकें।

 

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