बिलासपुर। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के जोनल कार्यालय में हिंदी दिवस के अवसर पर 14 सिंतबर से राजभाषा प्रारंभ हुआ है जो 22 सिंतबर तक चलेगा।
आज पहले दिन हिंदी पुस्तक समीक्षा प्रतियोगिता रखी गई। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य राजभाषा अधिकारी अमिताभ चौधरी व मुख्य जनसंपर्क अधिकारी साकेत रंजन ने किया। इस मौके पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के संदेश का वाचन किया गया। चौधरी ने कहा कि आज किताबें लिखना, पढ़ना और समीक्षा करने वाले जब कम रह गये हैं, समीक्षा के लिये इतने प्रतिभागियों की उपस्थिति हमारी उपलब्धि है।
कार्यक्रम में निर्णायक बतौर साकेत रंजन, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी एवं खुर्शीद हयात, सेवानिवृत्त मुख्य नियंत्रक ( कोचिंग) उपस्थित रहे । प्रतियोगिता में अजय कुमार, सहायक कार्यपालक इंजीनियर (निर्माण) ने मुंशी प्रेमचंद रचित ‘ गोदान’, ललित कुमार, मुख्य वाणिज्य निरीक्षक ने हरिशंकर परसाई रचित ‘निठल्ले की डायरी’, तुहिन चटर्जी ने यशपाल की ‘खच्चर और आदमी’ मनोरंजन कुमार झा, मुख्य सतर्कता निरीक्षक ने मैथिली शरण गुप्त की ‘ भारत – भारती, रामनाथ पंडित, लेखा सहायक ने मुंशी प्रेमचंद की ‘गोदान’, पी. प्रसाद राव, निजी सचिव/अपर महाप्रबंधक ने तुलसीदास कृत ‘ रामचरित मानस . नीलिमा वर्मा, सतर्कता निरीक्षक ने शिवाजी सावंत की ‘मृत्युंजय’, के.वी. रमणा, उप मुख्य संरक्षा अधिकारी ने जयशंकर प्रसाद की ‘कामायनी’ एवं डी.सी. मंडल ने रवीन्द्रनाथ टैगोर रचित ‘ गीतांजलि ‘ की समीक्षा की। कार्यक्रम में वक्ताओं ने बहुत ही सार्थक समीक्षा की ।
निर्णायक साकेत रंजन, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी ने कहा कि किसी भी किताब की समीक्षा करना बहुत महत्वपूर्ण है। समीक्षक साहित्यकार और पाठक के बीच की श्रृंखला है। हजारी प्रसाद द्विवेदी, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, डॉ. नगेन्द्र, डॉ. नामवर सिंह, रामविलास शर्मा एवं नंददुलारे बाजपेयी आदि प्रमुख आलोक रहे जिन्होंने हिंदी साहित्य की कई कृतियों की प्रसिद्धि दिलाई। डॉ. रामविलास शर्मा ने मुंशी प्रेमचंद कृत ‘ गोदान’ की समीक्षा कर उसे काफी प्रसिद्ध कर दिया। उसी प्रकार अनेक कृतियों की आलोचना ने कई लेखकों को ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। सही मायने में आलोचक की वजह से ही किसी साहित्य की कीमत बढ़ती है। निर्णायकों में उपस्थित हयात ने कहा कि हिंदी दिवस समारोह कीशुरूआत ‘ किताबों की समीक्षा प्रतियोगिता से हुई है जो किताब की संस्कृति जो अब नहीं है, से प्रारंभ करना बड़ी बात है। कार्यक्रम का संचालन विक्रम सिंह, वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी ने किया।