बिलासपुर। अधिकारी-कर्मचारियों की हड़ताल के बीच सरपंच संघ ने भी सोमवार से काम बंद और कलम बंद हड़ताल शुरू कर दी है। कार्यकाल को 2 साल बढ़ाने और 10 हजार रुपये आजीवन पेंशन देने सहित उनकी 11 मांगें हैं।

सोमवार को बिलासपुर में प्रदेश सरपंच संघ से जुड़े सदस्यों की राज्य स्तरीय बैठक हुई, जिसमें उन्होंने हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया। संघ के प्रदेश अध्यक्ष आदित्य उपाध्याय का दावा है कि इसमें प्रदेश के सभी जिलों के पदाधिकारी शामिल हुए। आंदोलन के दौरान वे राजधानी रायपुर सहित सभी जिला मुख्यालयों में धरना प्रदर्शन करेंगे।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नाम पर सौंपे गए ज्ञापन में 11 सूत्री मांगें रखी गई है। इनमें सरपंचों का मानदेय बढ़ाकर 20 हजार रुपये प्रतिमाह करने और पंचों का मानदेय 5 हजार करने की मांग है। सरपंचों को आजीवन 10 हजार रुपये पेंशन देने तथा 50 लाख तक के सभी कार्यों की एजेंसी पंचायत को तय करने की मांग है। सरपंच निधि के रूप में प्रत्येक पंचायत को हर साल 10 लाख रुपये देने की मांग की गई है। इसके अलावा नक्सलियों के हमले से मारे जाने पर सरपंचों के परिजनों को 20 लाख रुपए मुआवजा तथा परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की गई है।

सरपंच संघ की मांग है कि 15वें वित्त आयोग की अनुदान राशि केवल उसी ग्राम पंचायत के लिए आवंटित की जाए और इस राशि को अन्य योजनाओं के निर्माण कार्यों में खर्च नहीं किया जाए। रोजगार गारंटी योजना के तहत खरीदे जाने वाली निर्माण सामग्री का भुगतान हर 3 महीने में किया जाए और 40 प्रतिशत अग्रिम राशि कार्य शुरू करने के लिए दी जाए। ज्ञापन में मांग की गई है कि छत्तीसगढ़ के सरपंचों का कार्यकाल कोरोनावायरस के कारण प्रभावित रहा है इसलिए इसमें 2 साल की वृद्धि की जाए। साथ ही महंगाई दर को देखते हुए प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के अंतर्गत इसकी राशि दो लाख रुपये बढ़ाई जाए। ज्ञापन में चेतावनी दी गई है कि 10 दिन के भीतर किसी प्रकार का निर्णय नहीं लिया गया तो सरपंच संघ छत्तीसगढ़ राज्यव्यापी आंदोलन व धरना प्रदर्शन करेगा जिसकी जिम्मेदारी छत्तीसगढ़ सरकार पर होगी।

 

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