बिलासपुर। डॉ. सीवी रामन विश्वविद्यालय में कैपेसिटी बिल्डिंग वर्कशॉप ड्रोन टेक्नोलॉजी इन एडवांस जियोस्पेटियल विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर इंटीग्रेटेड इंस्टीट्यूट फॉर एडवांस रिसर्च एंड इंफॉर्मेशन, कोलकाता के डायरेक्टर ने विद्यार्थियों को ड्रोन टेक्नोलॉजी के बारे में जानकारी देकर व्यावहारिक पहलू को बताया। यह आयोजन सेंटर फॉर जीआईएस रिमोट सेंसिंग, सामाजिक विज्ञान विभाग , सेंटर फॉर एक्सीलेंस, ग्रामीण प्रौद्योगिकी विभाग, आइक्यूएसी एवं आईआईएआरआई कोलकाता का संयुक्त आयोजन था।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. रवि प्रकाश दुबे ने कहा कि विश्वविद्यालय में जल्द ही ड्रोन एकेडमी खोली जाएगी। आने वाला समय कौशल है। वही आगे होगा जो कौशल में दक्ष होगा। ड्रोन टेक्नोलॉजी को जानना और समझना बेहद अनिवार्य है। आज इसकी उपयोगिता हर क्षेत्र में है। कृषि, रक्षा, नेशनल हाईवे, माइनिंग, पाइप लाइन बिछाने, वन, पशु पक्षी के के ज्ञान, रेलवे, आपदा प्रबंधन सहित हर क्षेत्र में ड्रोन बेहद आवश्यक टूल के रूप में सामने आया है। नई शिक्षा नीति में भी कौशल को अनिवार्य किया गया है। एक सर्वे के अनुसार वर्ष 2026 में पूरे भारत में कम से कम पांच लाख लोग ड्रोन टेक्नोलॉजी में दक्ष होने चाहिए।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव गौरव शुक्ला ने कहा कि विश्वविद्यालय में जल्द ही ड्रोन एकेडम प्रारंभ की जाएगी। इस डिजिटल युग के साथ युवाओं को कंधे से कंधा मिलाकर चलना होगा।
कार्यक्रम में स्वागत भाषण कार्यक्रम की समन्वयक केंद्र प्रमुख डॉ काजल मोइत्रा ने एवं कार्यक्रम का आभार प्रकट डॉ अनुपम तिवारी ने किया। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर गुरप्रीत बग्गा ने किया इस अवसर पर आई आईएआरआई की तानिया सेन एवं विश्वविद्यालय के अधिकारी कर्मचारी और विद्यार्थी बड़ी संख्या में मौजूद थे।
इस अवसर पर आई आईआईएआरआई के डायरेक्टर राहुल चक्रवर्ती ने ड्रोन टेक्नोलॉजी के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आज हर क्षेत्र में ड्रोन का उपयोग किया जा रहा है। जिस तरह किसी समय कंप्यूटर का युग था और आज उस पर ही सभी कार्य आश्रित हैं। ऐसे में वही स्थिति ड्रोन की है. आज ड्रोन की आवश्यकता साफ नजर आ रही है। आने वाले 20 साल में हर कार्य ड्रोन से बेहतर रूप से किए जा सकेंगे। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को उसकी नई तकनीक और कार्यशैली को समझने की जरूरत है।