चीफ जस्टिस ने एक साथ सभी का वर्चुअल निरीक्षण किया
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट सहित प्रदेश के सभी जिला न्यायालयों व अन्य न्यायालयों में शनिवार को लोक अदालतों का आयोजन किया गया। इनमें आपसी समझौते के माध्यम से प्री-लिटिगेशन के कुल 6 लाख 80 हजार 132 प्रकरण रखे गये, जिसमें 5 लाख 83 हजार 143 प्रकरण निराकृत हुए। इसी प्रकार लंबित 76 हजार 258 प्रकरण रखे गये, जिनमें से कुल 56 हजार 946 प्रकरण निराकृत हुए। कुल 191 करोड़ एक लाख12 हजार 616 रुपये के अवार्ड पारित किए गए। हाईकोर्ट में इस मौके पर 96 प्रकरणों का निपटारा किया गया।
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा ने उच्च न्यायालय में आयोजित लोक अदालत का निरीक्षण किया। उन्होंने संबंधित खण्डपीठों के न्यायाधीश सचिन सिंह राजपूत, न्यायाधिपति रविन्द्र कुमार अग्रवाल तथा न्यायाधिपति अरविंद कुमार वर्मा से प्रकरणों के संबंध में जानकारी ली। लोक अदालत में कुल 96 प्रकरणों का निराकरण किया गया।
चीफ जस्टिस ने राज्य के समस्त जिला न्यायालयों का वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से वर्चुअल निरीक्षण किया तथा संबंधित जिला एवं सत्र न्यायाधीशों से उनके जिले में आयोजित लोक अदालतों में विचाराधीन प्रकरणों व निराकृत प्रकरणों के संबंध में जानकारी ली। उन्होंने अधिक से अधिक प्रकरणों के निराकरण का निर्देश न्यायाधीशों को दिया।
जिला न्यायालय, धमतरी के जिला एवं सत्र न्यायाधीश के. एल. चरयाणी ने जानकारी दी कि उनके न्यायालय में विद्युत चोरी का एक प्रकरण पांच वर्ष से अधिक समय से लंबित था जिसमें अभियुक्त महिला को नोटिस तामील नहीं हो पा रहा था। प्रकरण राजीनामा योग्य घारा होने के कारण इस प्रकरण में विशेष रूचि लेते हुए अभियुक्त के संबंध में जानकारी प्राप्त की गई। जानकारी प्राप्त हुई कि वह किसी अन्य अपराध में केन्द्रीय जेल, रायपुर में सजा भुगत रही है तथा उसके परिवार में कोई अन्य जीवित सदस्य नहीं है। केन्द्रीय जेल, रायपुर के सहयोग से अभियुक्त से सहमति लेकर जेल में मिलने वाले पारिश्रमिक से उससे अर्थदण्ड व राजीनामा शुल्क प्राप्त करते हुए प्रकरण का निराकरण किया गया। यह प्रथम अवसर है जब एक ही दिन में राज्य के समस्त जिला एवं सत्र न्यायालयों का एक साथ निरीक्षण किया गया।
उल्लेखनीय है कि चीफ जस्टिस सिन्हा नियमित रूप से जिला न्यायालयों का भौतिक व वर्चुअल निरीक्षण कर रहे हैं, जिसके कारण राज्य के न्यायिक कार्य-व्यवस्था में सुधार देखने को मिल रहा है।
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली के निर्देशानुसार छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय एवं कार्यपालक अध्यक्ष, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के दिशा-निर्देश में छत्तीसगढ़ राज्य में तालुका स्तर से लेकर उच्च न्यायालय स्तर तक सभी न्यायालयों में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। राजीनामा योग्य प्रकरणों में पक्षकारों की आपसी सहमति व सुलह समझौता से निराकृत किये गये हैं। उक्त लोक अदालत में प्रकरणों के पक्षकारों की भौतिक एवं वर्चुअल दोनों ही माध्यमों से उनकी उपस्थिति में निराकृत किये जाने के अतिरिक्त स्पेशल सीटिंग के माध्यम से भी पेटी ऑफेंस के प्रकरणों को निराकृत किये गये हैं।
बिलासपुर में 6455 लंबित प्रकरणों का तथा 18582 प्रि लिटिगेशन के मामलों का निराकरण हुआ। जिला न्यायाधीश रमाशंकर प्रसाद के मार्गदर्शन में न्यायालय स्थायी लोक अदालत (जनोपयोगी सेवाएं) बिलासपुर के पीठासीन अधिकारी मोहम्मद रिजवान खान द्वारा वार्ड क्र. 13, धुरीपारा बिलासपुर में मोहल्ला लोक अदालत का आयोजन किया गया। उक्त मोहल्ला लोक अदालत में आम-जनों से संबंधित जनोपयोगी सेवाएं जैसे-नगर निगम के जलकर, सम्पति कर, सार्वजनिक विद्युत आपूर्ति, साफ-सफाई, पेयजल से संबंधित 611 प्रकरणों का निराकरण किया गया। इस दौरान नगर निगम जोन आयुक्त रंजना अग्रवाल मौजूद थीं। साथ ही स्थायी लोक अदालत के अध्यक्ष मोहम्मद रिजवान खान, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव राकेश सिंह सोरी, स्थाई लोक अदालत की सदस्य शालिनी मिरी, नितिन कुमार अग्रवाल तथा वार्ड क्रमांक 13 के पार्षद सहित बड़ी संख्या में नागरिक मौजूद थे।
बिलासपुर की नेशनल लोक अदालत में एक प्रकरण जो एसईसीएल रायगढ़ के द्वारा नवीन कुमार एवं प्रवीण कुमार के कुल 14.052 हेक्टेयर भूमियों के अधिग्रहण पश्चात् मुआवजा राशि भुगतान करने बाबत् 10 दिसंबर 2018 को प्रस्तुत किया गया था उसमें यह आपत्ति की गई थी कि अधिग्रहित की गई भूमि में से एक एकड़ भूमि के वे स्वत्वाधिकारी हैं जिसका विवाद राजस्व न्यायालय में चल रहा है और इन्हीं कारणों से मुआवजा राशि 2 करोड़ 77 लाख 83 हजार रुपये का भुगतान नहीं हो पा रहा है। उक्त प्रकरण में पक्षकारों को प्री-सिटिंग कर समझाईश दी गई। उभयपक्षों के मध्य आपसी सहमति बनी और जो विवादित एक एकड़ भूमि के रकम को छोड़कर शेष रकम अविवादित होने के कारण अनावेदक नवीन कुमार एवं प्रवीण कुमार को दिया गया, विवादित भूमि की रकम 5 लाख रुपये आपत्तिकर्ता को अस्थायी तौर पर दी गई और राजस्व न्यायालय में फैसला होने के बाद फैसले के अनुसार पक्षकार रकम की लेनदेन करने के लिए सहमत हो गए।
बिलासपुर में जिला एवं सत्र न्यायाधीश रमाशंकर प्रसाद के समक्ष एक आपराधिक अपील प्रस्तुत की गई थी जिसमें प्रार्थी ने एक कार 60 हजार रुपये में सेकेण्ड हेण्ड क्रय किया था, किंतु नाम ट्रांसफर होने के पहले ही उसकी कार चोरी हो गई। चोरी करने वाले दो व्यक्ति थे जिसमें से एक नाबालिग था। नाबालिग बालक का प्रकरण किशोर न्याय बोर्ड ने निराकृत किया था तथा अन्य आरोपी का प्रकरण मजिस्ट्रेट न्यायालय द्वारा से निराकृत हुआ। दोनों ही न्यायालयों से प्रकरण का निराकरण हुआ, किंतु जप्तशुदा कार देने के बारे में कोई आदेश नहीं हुआ। आपराधिक अपील प्रकरण में प्रार्थी एवं आरोपियों को बुलाया गया और उनके बीच आपसी सहमति से समझौता पेश हुआ और तब जब्तशुदा वाहन को लगभग चार वर्ष बाद आरक्षी केन्द्र चकरभाठा से प्रार्थी ने प्राप्त किया।