आरक्षण के नियमों को पालन करते हुए फिर करनी होगी नीलामी
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सिटी कोतवाली परिसर में बनाए जा रहे मल्टीलेवल पार्किंग की 46 दुकानों का आवंटन रद्द कर दिया है। अब इन दुकानों की नीलामी फायर एंड सेफ्टी ऑडिट करने तथा आरक्षण नियमों का पालन करने के बाद होगी।
हाईकोर्ट में बिलासपुर निवासी आदिवासी वर्ग के कार्यकर्ता नंदकिशोर राज व व्यवसायी महेश दुबे की ओर से इसे लेकर एक जनहित याचिका दायर की गई थी, जिस पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की डिवीजन बेंच ने फैसला सुनाया है।
याचिकाकर्ताओं के वकील सुदीप श्रीवास्तव ने सुनवाई के दौरान बताया गया कि पहले इस बिल्डिंग में दुकानें प्रस्तावित नहीं थी। बाद में पार्किंग के प्रथम फ्लोर को दुकानों में परिवर्तित करने के लिए वेंटीलेशन समाप्त कर दिया, जिससे आगजनी की घटना में बचाव नहीं हो पाएगा। स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने पार्किंग पर आने वाले खर्च की भरपाई के लिए यहां दुकान बनाने का निर्णय लिया था।
हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य, केंद्र सरकार या उसका उपक्रम पैसे की कमी की दलील देकर आरक्षण के नियम की अवहेलना कर कोई कार्य नहीं कर सकता है। फैसले में न्याय के उस सिद्धांत को प्रतिपादित किया गया जिसमें कहा गया है कि यदि कोई नियम या अधिनियम किसी कार्य को एक निश्चित तरीके से करने की बात कहता है, तो वह कार्य केवल उसी तरह किया जाएगा, अन्यथा नहीं किया जाएगा। यदि दुकानों का आवंटन के लिए 1994 का नियम लागू है तो वह स्मार्ट सिटी लिमिटेड पर भी लागू होगा क्योंकि उसकी पैरेंट बॉडी नगर निगम है और राज्य सरकार इसमें अंशधारक है। दोनों ही संविधान के अनुच्छेद 12 के अनुसार राज्य की परिभाषा में आते हैं जिन पर इस नियम को लागू करने का दायित्व है।
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब स्मार्ट सिटी लिमिटेड और नगर निगम को इन दुकानों को नए सिरे से आवंटन करने के लिए आरक्षण नियमों का पालन करते हुए पुनः नीलामी करनी होगी। इसके तहत एससी, एसटी, ओबीसी के अलावा महिला, दिव्यांग, स्वतंत्रता सेनानी, पूर्व सैनिक आदि कई श्रेणियों को अवसर देना होगा। यह नीलामी बिल्डिंग का फायर और सेफ्टी ऑडिट करने के बाद की जाएगी।
राज्य सरकार तथा स्मार्ट सिटी की ओर से महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत और केंद्र सरकार की ओर से अप सॉलिसिटर जनरल रमाकांत मिश्रा ने मामले में बहस की।