बिलासपुर रेलवे और लोक निर्माण विभाग में एक साथ नौकरी करने के आरोपी की याचिका को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। यह फैसला मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति के. रवींद्र कुमार अग्रवाल की बेंच ने सुनाया। याचिका में रायगढ़ के जेएमएफसी कोर्ट में दर्ज मामले को निरस्त करने की मांग की गई थी। इससे पहले, आरोपी की अग्रिम जमानत की याचिका को भी हाई कोर्ट ने दो बार खारिज कर दिया था।

मामला 2007 का है जब लोक निर्माण विभाग ने सब इंजीनियर के पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था। आरोपी ने रेलवे से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेकर भर्ती प्रक्रिया में हिस्सा लिया और सब इंजीनियर के पद पर चयनित हो गया। उसने 2008 में लोक निर्माण विभाग में जॉइनिंग की, लेकिन रेलवे से इसे छिपाते हुए इस्तीफा नहीं दिया। वह दोनों स्थानों से वेतन लेता रहा। सन् 2014 में यह मामला खुला।

इस खुलासे के बाद, रेलवे ने आरोपी के खिलाफ चक्रधर नगर थाने में आईपीसी की धारा 420 के तहत धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया। आरोपी, जो रेलवे में टेक्निकल ग्रेड-3 के पद पर कार्यरत था, ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी जिसमें रायगढ़ के जेएमएफसी कोर्ट में उसके खिलाफ दर्ज प्रकरण को निरस्त करने की मांग की गई थी।

हाई कोर्ट ने पाया कि 2015 में पुलिस ने इस मामले में उचित जांच के बाद आरोप पत्र प्रस्तुत किया था। 2016 और 2022 में आरोपी की अग्रिम जमानत अर्जी भी खारिज कर दी गई थी। जेएमएफसी कोर्ट ने आरोपी को फरार घोषित करते हुए 2018 में मामले में निर्णय सुनाया था।

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