बिलासपुर के जिला अस्पताल में व्याप्त अव्यवस्थाओं को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने शासन को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने शासन से अस्पताल की वर्तमान स्थिति की वास्तविक जानकारी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है और मामले की अगली सुनवाई 13 अगस्त को निर्धारित की है।

स्व-संज्ञान के तहत हाईकोर्ट ने शुरू की सुनवाई

बिलासपुर जिला अस्पताल में चल रही घोर अव्यवस्थाओं को लेकर समाचार माध्यमों में खबरें प्रकाशित हुई थीं, जिसके बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने इन खबरों का स्व-संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका के रूप में सुनवाई शुरू की। पिछली सुनवाई के दौरान, चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने अस्पताल की व्यवस्थाओं पर चिंता व्यक्त की थी और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अपर मुख्य सचिव से अस्पताल की स्थिति को लेकर एक हलफनामा प्रस्तुत करने को कहा था।

हलफनामे से हुए कई खुलासे

अस्पताल में मशीनों की स्थिति पर पिछले हलफनामे में बताया गया था कि मशीनें ठीक से काम कर रही हैं, लेकिन रिएजेंट की आपूर्ति की कमी के कारण वे अपनी पूरी क्षमता से कार्य नहीं कर पा रही हैं। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कॉर्पोरेशन (सीजीएमएससी) ने भी अस्पताल में जरूरी उपकरणों और दवाओं की उपलब्धता पर सवाल उठाए थे।

कोर्ट का असंतोष और शासन को निर्देश

आज शुक्रवार को हुई सुनवाई में, चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने अस्पताल में मौजूद मशीनों की स्थिति की स्पष्ट जानकारी मांगी। कोर्ट ने पूछा कि कितनी मशीनें खराब हैं और कितनी सही ढंग से कार्य कर रही हैं। जिन मशीनों में पहले समस्या बताई गई थी, उनके सुधार के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं, इसकी जानकारी भी कोर्ट ने मांगी। हाईकोर्ट ने शासन और स्वास्थ्य विभाग को वास्तविक तथ्यों के साथ सही जानकारी पेश करने का निर्देश दिया। इसके लिए अगली सुनवाई 13 अगस्त को निर्धारित की गई है, जिसमें पूरी जानकारी प्रस्तुत करनी होगी।

वास्तविक स्थिति जानने के लिए मांगा गया समय

सुनवाई के दौरान सिविल सर्जन-सह-मुख्य अस्पताल सर्जन, बिलासपुर ने भी अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। राज्य शासन के वकील ने वास्तविक तथ्य का पता लगाने के लिए हाईकोर्ट से कुछ समय के स्थगन की प्रार्थना की थी।

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