सीयू के सहायक प्राध्यापक ने शोध से निकाला निष्कर्ष

गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय की भौतिकीय विज्ञान अध्ययनशाला के सह-प्राध्यापक डॉ. एम.एन. त्रिपाठी ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की एक महत्वाकांक्षी एवं महत्वपूर्ण परियोजना पर तीन वर्ष तक कार्य किया है। इसका शीर्षक है- ‘‘मैग्नेटो आप्टो इलेक्ट्रॉनिक प्रॉपर्टीज ऑफ ट्रांसपेरेंट कंडक्टर्सः डीएफटी (डेंस्टीफंक्शनल थ्योरी) स्टडी‘‘।

करीब साढे तीन लाख रुपये की इस परियोजना में मुख्य रूप से निष्कर्ष निकाला गया है कि आप्टो इलेक्ट्रानिक गुणों से युक्त पदार्थ पारदर्शी होने के साथ-साथ विद्युत के सुचालक भी होते हैं। सामान्य तौर पर पाये जाने वाले पदार्थों मे यह गुण नहीं होता है। इस पदार्थ का उपयोग मोबाइल फोन, टेलीविजन सहित अन्य अत्याधुनिक उपकरणों की टचस्क्रीन में किया जाता है। पारदर्शिता के साथ चालकता उन्हीं पदार्थों में संभव है जिनमें आप्टो इलेक्ट्रॉनिक गुण हों। ऐसे पदार्थों में मुख्यतः इंडियन टिन ऑक्साइड का प्रयोग किया जाता है। इसमें इंडियम एक महंगी धातु है, जसका सबसे ज्यादा उत्पादन चीन में किया जाता है।

उक्त परियोजना के तहत इंडियम का विकल्प खोजने के लिए अध्ययन किया गया। विश्वस्तरीय डीएफटी तकनीक से अन्य नए पदार्थों के गुणों का अनुमान लगाना भी इस परियोजना का उद्देश्य था। इस शोध परियोजना में डॉ. त्रिपाठी ने दो गुणों चालकता एवं पारदर्शिता में चुम्बकीय प्रभाव भी पैदा करने के लिए अध्ययन किया। उनका शोध कार्य राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर की कई शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित हुआ, जिनमें मुख्य रूप से जनरल ऑफ एप्लाइड फिजिक्स अमेरिका (2012, 2018) एवं मटेरियल रिसर्च एक्सप्रेस, अमेरिका  (2013) हैं। डॉ. त्रिपाठी विभिन्न अंतरराष्ट्रीय स्तर के शोध सम्मेलनों में अपना शोध कार्य प्रस्तुत कर चुके हैं।

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