बिलासपुर। ई-रिक्शा चोरी मामले में बिलासपुर पुलिस की कार्यप्रणाली पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है। बुधवार को सुनवाई के दौरान अदालत ने बिलासपुर एसपी द्वारा पेश किए गए हलफनामे को अधूरा और असंतोषजनक मानते हुए खारिज कर दिया। साथ ही, नए सिरे से दस्तावेजों सहित पूर्ण हलफनामा पेश करने के निर्देश दिए। अदालत ने अगली सुनवाई तक याचिकाकर्ताओं के खिलाफ किसी भी प्रतिकूल कार्रवाई पर रोक लगा दी है।

क्या है मामला?
याचिकाकर्ता प्रतीक साहू का ई-रिक्शा 20 जनवरी 2025 को चोरी हो गया था, जिसकी रिपोर्ट उन्होंने कोटा थाने में दर्ज कराई। पुलिस ने अज्ञात आरोपी के खिलाफ अपराध दर्ज किया और 28 फरवरी को एक व्यक्ति से ई-रिक्शा बरामद कर लिया। हैरानी की बात यह रही कि रिक्शा रखने वाले व्यक्ति ने दावा किया कि उसने इसे 20 हजार रुपये में खरीदा था, लेकिन पुलिस ने उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की और उसे छोड़ दिया।

इसके उलट, पुलिस ने पीड़ित प्रतीक साहू को ही थाने बुलाकर प्रताड़ित किया, गालियां दीं और धमकाया। पुलिस ने उससे पूछा कि रिक्शा कहां से खरीदा और दस्तावेज दिखाने के लिए दबाव बनाया। इस पुलिसिया कार्रवाई के खिलाफ प्रतीक साहू ने अपने वकील अमित कुमार के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की।

हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रवींद्र कुमार अग्रवाल की खंडपीठ ने पहले ही पुलिस को इस मामले से जुड़े सभी दस्तावेज प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। बुधवार को सुनवाई के दौरान जब एसपी का हलफनामा पेश किया गया तो अदालत ने इसे अधूरा बताते हुए सरकार को कड़ी फटकार लगाई।

मुख्य न्यायाधीश ने टिप्पणी की, “एसपी एक आईपीएस अधिकारी हैं, उन्हें अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए। आखिर अधूरा हलफनामा क्यों पेश किया गया? सरकार ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया।” अदालत ने यहां तक कह दिया कि “एसपी को खुद कोर्ट भेजिए, हम उनका इंतजार कर रहे हैं।”

इसके बाद, कोर्ट ने आदेश दिया कि अगली सुनवाई तक याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न की जाए। साथ ही, एसपी को आवश्यक दस्तावेजों के साथ नया हलफनामा पेश करने को कहा। अब इस मामले की अगली सुनवाई 19 मार्च को होगी।

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