बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के विशेषज्ञ की अनुपलब्धता को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। गुरुवार को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार का जवाब दर्ज होने के बाद अब राज्य सरकार के मुख्य सचिव को हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है।
याचिकाकर्ता की दलील
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता गौतम खेत्रपाल ने तर्क दिया कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 63(4) के तहत इलेक्ट्रॉनिक प्रमाणों की प्रमाणिकता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे का निर्माण जरूरी है। छत्तीसगढ़ में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 79-ए के तहत कोई अधिकृत परीक्षक या विशेषज्ञ नहीं है, इसलिए उनकी नियुक्ति के निर्देश दिए जाएं।
केंद्र सरकार का जवाब
केंद्र सरकार के अधिवक्ता रमाकांत मिश्रा ने बताया कि देशभर में डिजिटल फॉरेंसिक लैब स्थापित करने की योजना बनाई गई है। इसके लिए आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर, उपकरणों और प्रशिक्षित कर्मियों की व्यवस्था जरूरी है। राज्य सरकार यदि किसी प्रयोगशाला को अधिसूचित करना चाहती है तो उसे नोडल अधिकारी नियुक्त कर निर्धारित प्रारूप में आवेदन भेजना होगा।
राज्य सरकार को निर्देश
हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान यह भी सामने आया कि छत्तीसगढ़ पुलिस साइबर लैब की मान्यता के लिए आई टीम ने कुछ कमियों की ओर इशारा किया था। इसके बाद राज्य सरकार को 19 मार्च 2021 और 10 मार्च 2025 को पत्र भेजकर जानकारी दी गई थी।
डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि मुख्य सचिव व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर यह स्पष्ट करें कि केंद्र सरकार के 19 मार्च 2021 के पत्र का अब तक क्या जवाब दिया गया है और देरी का कारण क्या है।
अगली सुनवाई 27 मार्च को
इससे पहले कोर्ट ने केंद्र सरकार को इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य विशेषज्ञों की नियुक्ति में तेजी लाने के निर्देश दिए थे। केंद्र ने शपथपत्र प्रस्तुत कर नियुक्ति प्रक्रिया की जानकारी दी है। अब राज्य सरकार को 27 मार्च तक अपना जवाब दाखिल करना होगा।