बिलासपुर। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के नागपुर-झारसुगुड़ा मुख्य रेल मार्ग पर ट्रेनों की रफ्तार अब 130 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंच चुकी है। तेज गति वाले ट्रेनों की सुचारू और सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए रेलवे द्वारा ट्रैक रखरखाव कार्यों में तेजी लाई गई है।
रेलवे द्वारा वित्तीय वर्ष 2024-25 की शुरुआत में ही ट्रैक मशीनों की मदद से महत्वपूर्ण मेंटेनेंस कार्य किए गए हैं। इनमें शामिल हैं:
- 201 किलोमीटर ट्रैक का नवीनीकरण
- 287 किलोमीटर ट्रैक में गिट्टी की छनाई
- 137 टर्नआउट्स (जंक्शन पॉइंट्स) का उन्नयन
- 7453 किलोमीटर से अधिक प्लेन ट्रैक की टैंपिंग
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे, जो भारतीय रेलवे के व्यस्ततम ज़ोन में शामिल है, प्रतिदिन औसतन 400 से अधिक ट्रेनों का संचालन करता है। इतने बड़े पैमाने पर रेल यातायात को सुचारू रूप से चलाने के लिए ट्रैक का समयबद्ध और गुणवत्तापूर्ण रखरखाव अनिवार्य है।
रेलवे अधिकारियों के अनुसार, केवल पटरियाँ बिछा देना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि ट्रैक की लाइनिंग, लेवलिंग और गिट्टी (बैलास्ट) की स्थिति भी उतनी ही महत्वपूर्ण होती है। बैलास्ट ट्रेनों के भार को संतुलित रूप से वितरित करती है, जिससे यात्रियों को अधिक आरामदायक यात्रा मिलती है।
ट्रैक अनुरक्षण के लिए रेलवे अब पारंपरिक तरीकों के बजाय आधुनिक ट्रैक मशीनों का उपयोग कर रही है। वर्तमान में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में 84 ट्रैक मशीनें कार्यरत हैं, जिनमें सीएसएम, यूनिमेट, एफआरएम, बीसीएम, पीक्यूआरएस, टी-28 जैसी उन्नत तकनीकी मशीनें शामिल हैं।
इन मशीनों के संचालन के लिए लगभग 900 कर्मचारी लगातार 24 घंटे कार्यरत रहते हैं, जो हर मौसम और परिस्थिति में यात्रियों की संरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्पर रहते हैं।
रेल प्रशासन ने बताया कि इन कार्यों को बेहतर समन्वय और ट्रेनों के संचालन के बीच संतुलन बनाकर अंजाम दिया गया है, जिससे ट्रेनों की रफ्तार के साथ-साथ उनकी संरक्षा भी सुनिश्चित हो सके।