महिला सैन्य अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के पक्ष में ऐतिहासिक निर्णय दे चुका है सर्वोच्च न्यायालय
नई दिल्ली। भारतीय सेना की अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी एक बार फिर सुर्खियों में हैं। 7 मई 2025 को ऑपरेशन सिंदूर के तहत की गई सैन्य कार्रवाई के बारे में जानकारी देने के लिए आयोजित प्रेस वार्ता में उन्होंने भारतीय वायुसेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह के साथ मंच साझा किया। विदेश सचिव विक्रम मिस्री द्वारा सरकार की ओर से प्रारंभिक बयान दिए जाने के बाद दोनों महिला अधिकारियों ने मीडियाकर्मियों को जानकारी दी।
ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि
यह प्रेस वार्ता उस सैन्य अभियान के कुछ ही घंटों बाद हुई, जिसमें भारतीय सेना ने 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में नौ आतंकी ठिकानों पर मिसाइल स्ट्राइक की।
सुप्रीम कोर्ट ने भी माना कर्नल सोफिया का योगदान
साल 2020 में महिला अधिकारियों को सेना में स्थायी कमीशन (Permanent Commission) देने के फैसले के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने कर्नल सोफिया कुरैशी के योगदान का विशेष उल्लेख किया था। न्यायालय ने कहा था कि महिला अधिकारियों को केवल स्टाफ असाइनमेंट तक सीमित रखना न्यायसंगत नहीं है और उनके नेतृत्व की भूमिका को नजरअंदाज करना संविधान के मूल्यों के खिलाफ है।
कर्नल सोफिया की उपलब्धियां
गुजरात के वडोदरा में जन्मी कर्नल कुरैशी ने 1997 में बायोकेमिस्ट्री में मास्टर डिग्री ली और बाद में सेना की सिग्नल कोर में सेवा दी। वे वर्ष 2006 में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के तहत कांगो में सैन्य पर्यवेक्षक के रूप में भी कार्य कर चुकी हैं, जहां उनका दायित्व संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में शांति बनाए रखना और मानवीय कार्यों में सहयोग देना था।
वर्ष 2016 में उन्होंने इतिहास रचते हुए एक्सरसाइज फोर्स 18 में भारतीय सेना की टुकड़ी का नेतृत्व किया, जो भारत द्वारा आयोजित अब तक का सबसे बड़ा बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास था। यह अभ्यास ASEAN देशों के बीच शांति एवं सहयोग को बढ़ाने के लिए आयोजित किया गया था।
महिला अधिकारियों के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सर्वोच्च न्यायालय ने अपने 2020 के निर्णय में केंद्र सरकार के हलफनामे का हवाला देते हुए कहा था कि महिला अधिकारियों ने पुरुष साथियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया है। लेकिन जैविक और सामाजिक कारणों का हवाला देकर उन्हें कमतर आंकना संविधान के मूल्यों का उल्लंघन है। न्यायालय ने कहा था, “भारतीय सेना की महिला अधिकारी बल के लिए गौरव का विषय हैं।”













