बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 2 साल 10 महीने की बच्ची से दुष्कर्म की कोशिश करने वाले आरोपी की अपील खारिज करते हुए सत्र न्यायालय द्वारा सुनाई गई सजा को बरकरार रखा है। कोर्ट ने कहा कि इतनी छोटी बच्ची, उसकी मां और प्रत्यक्षदर्शी के बयान पूरी तरह विश्वसनीय हैं, इसलिए सजा में किसी तरह की राहत नहीं दी जा सकती।
चॉकलेट देने के बहाने फुसलाया
यह घटना 28 नवंबर 2021 की है। बच्ची अपनी मौसी के घर के सामने खेल रही थी, तभी आरोपी वहां आया और चॉकलेट-बिस्किट दिलाने के बहाने उसे बहला-फुसलाकर ले जाने लगा। कुछ समय बाद जब वह बच्ची को अपने घर ले जाकर गलत हरकत करने की कोशिश कर रहा था, तभी पड़ोसी ने उसे देख लिया और बच्ची को तुरंत वापस घर लाया।
इसके बाद परिवार ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने जांच कर भारतीय दंड संहिता की धारा 363 और पोक्सो एक्ट की कई धाराओं में मामला दर्ज किया और आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायालय में चालान पेश किया।
निचली अदालत ने सुनाई थी सजा
सत्र न्यायालय ने आरोपी को 5 साल की सजा भारतीय दंड संहिता की धारा 363 में और 5 साल की सजा पोक्सो एक्ट की धाराओं में सुनाई थी। इसके खिलाफ आरोपी ने हाईकोर्ट में अपील की थी।
मासूम के बयान को भरोसेमंद पाया
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि –
- मासूम बच्ची की उम्र, उसके बयान और प्रत्यक्षदर्शियों की गवाही पूरी तरह से भरोसेमंद है।
- पीड़िता की गवाही पर अदालत भरोसा कर सकती है, भले ही मेडिकल रिपोर्ट मौजूद न हो।
- आरोपी का यह तर्क कि उसे झूठा फंसाया गया है, किसी आधार पर खरा नहीं उतरता।
कोर्ट ने कहा कि इस तरह के मामलों में, यदि पीड़िता का बयान विश्वसनीय हो तो उसी के आधार पर आरोपी को दोषी ठहराया जा सकता है।
आरोपी की दलीलें नहीं चलीं
अपील में आरोपी ने कहा कि वह पहले से जेल में 3 साल से ज्यादा वक्त गुजार चुका है और उसके खिलाफ मेडिकल सबूत नहीं हैं। लेकिन हाईकोर्ट ने इन तर्कों को खारिज कर दिया। कोर्ट ने माना कि पीड़िता ने घटना को लेकर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के समक्ष भी दोबारा वही बात दोहराई, जिससे साफ है कि सच्चाई वही है।