अंबिकापुर। सरगुजा जिले में तैनात केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के एक सब इंस्पेक्टर ऑनलाइन ठगी का शिकार हो गए। ठगों ने उन्हें डिजिटल गिरफ्तारी और मनी लॉन्ड्रिंग के झूठे आरोपों का डर दिखाकर 22 लाख रुपए ठग लिए। डर के मारे सब इंस्पेक्टर ने अपनी पत्नी के जेवर गिरवी रख दिए और बेटे की एफडी तक तुड़वा दी, ताकि ठगों के लिए पैसे का इंतजाम हो सके।

घटना 5 जून से शुरू हुई जब सब इंस्पेक्टर आर. महेन्द्रन को एक अनजान नंबर से फोन आया। कॉल करने वाला खुद को दिल्ली के टेलीकॉम विभाग से “रविशंकर” बताने लगा। उसने कहा कि आपके आधार से एक फर्जी सिम जारी हुआ है जिससे आपराधिक गतिविधियां हो रही हैं। कुछ ही देर बाद एक और कॉल आया, इस बार वीडियो कॉल पर एक शख्स पुलिस की वर्दी में नजर आया, जिसने कहा कि दिल्ली के बैंक में आपके नाम पर खाता खुला है जिसमें 2 करोड़ रुपए का लेनदेन हुआ है।

फिर शुरू हुआ डराने और पैसे ऐंठने का सिलसिला। ठगों ने कहा कि आपको डिजिटल रूप से गिरफ्तार किया गया है, और यदि आप खुद को निर्दोष साबित करना चाहते हैं तो खातों का वेरिफिकेशन जरूरी है। इसके नाम पर उन्होंने अलग-अलग अकाउंट में पैसे जमा करने को कहा और कहा कि 72 घंटे में पैसे वापस हो जाएंगे।

सब इंस्पेक्टर ने पहले अपनी सैलरी से पैसे ट्रांसफर किए। फिर कहा गया कि अगर बेल चाहिए तो 10 लाख का इंतजाम करना होगा। डर के कारण उन्होंने पत्नी के गहने गिरवी रखकर पैसे जुटाए और ट्रांसफर कर दिए। इसके बाद भी कॉल्स बंद नहीं हुए। कहा गया कि बेटे की एफडी और इंश्योरेंस का भी वेरिफिकेशन होगा। मजबूरी में उन्होंने बेटे की एफडी तुड़वाकर और 5 लाख रुपए ठगों के बताए खाते में डाल दिए।

हर बार उन्हें कहा गया कि यह आखिरी प्रक्रिया है और पैसे जल्द वापस मिल जाएंगे, लेकिन 23 जून को जब ठगों का मोबाइल हमेशा के लिए बंद हो गया, तब जाकर सब इंस्पेक्टर को ठगी का एहसास हुआ। उन्होंने 17 दिन बाद गांधीनगर थाने में शिकायत दर्ज कराई।

पुलिस ने अज्ञात मोबाइल नंबरों और बैंक खाताधारकों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। सरगुजा एएसपी अमोलक सिंह ने बताया कि जिन खातों में पैसा गया है, उनका पता लगाया जा रहा है।

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