बर्ड-डे पर, विधानसभा सत्र के आखिरी दिन ईडी की कार्रवाई, पूर्व सीएम ने कहा-अडानी की जंगल कटाई का मुद्दा उठाने वाले थे इसलिए सरकार घबराई

रायपुर। छत्तीसगढ़ में हुए कथित शराब घोटाले ने एक बार फिर सुर्खियां बटोरीं, जब आज सुबह प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को गिरफ्तार किया। यह कार्रवाई भिलाई में बघेल के घर पर छापेमारी के बाद हुई, और इसे लेकर कांग्रेस और भाजपा में तीखी जंग छिड़ गई है। आइए, इस घोटाले और चैतन्य की भूमिका को आसान भाषा में समझते हैं।

कांग्रेस का रुख: “यह राजनीतिक बदला है”

कांग्रेस ने चैतन्य की गिरफ्तारी को केंद्र की भाजपा सरकार की साजिश बताया है। भूपेश बघेल ने कहा कि यह कार्रवाई उनकी आवाज दबाने की कोशिश है, खासकर तब जब वे रायगढ़ में पेड़ कटाई जैसे पर्यावरणीय मुद्दों को उठा रहे हैं। कांग्रेस का दावा है कि ईडी का इस्तेमाल विपक्ष को डराने के लिए हो रहा है।

भाजपा का जवाब: “भ्रष्टाचार की परतें खुल रही हैं”

भाजपा ने इस कार्रवाई का स्वागत करते हुए कहा कि यह बघेल सरकार के समय हुए भ्रष्टाचार को उजागर करता है। उनका कहना है कि ईडी स्वतंत्र रूप से जांच कर रही है, और यह घोटाला छत्तीसगढ़ की जनता के साथ धोखा था। उप- मुख्यमंत्री व गृह मंत्री विजय शर्मा ने कहा कि जांच एजेंसी जन्मदिन या किसी तारीख विशेष पर नहीं आती, वह जांच के आधार पर पहुंचती है।

भूपेश बघेल ने कई ट्वीट किए

भूपेश बघेल ने इस कार्रवाई को राजनीतिक प्रतिशोध करार देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कई ट्वीट किए। सुबह 10:25 बजे उन्होंने ट्वीट किया:

जन्मदिन का जैसा तोहफ़ा मोदी और शाह जी देते हैं वैसा दुनिया के किसी लोकतंत्र में और कोई नहीं दे सकता। मेरे जन्मदिन पर दोनों परम आदरणीय नेताओं ने मेरे सलाहकार और दो ओएसडी के घरों पर ईडी भेजी थी। और अब मेरे बेटे चैतन्य के जन्मदिन पर मेरे घर पर ईडी की टीम छापामारी कर रही है।

बाद में 14:07 बजे (IST), चैतन्य की गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए उन्होंने लिखा:

आज मेरे बेटे को उसके जन्मदिन पर गिरफ्तार किया गया है. पहले कवासी लखमा को टारगेट किया, देवेंद्र यादव को टारगेट किया और अब वे मेरे बेटे को निशाना बना रहे हैं, ताकि कोई अडानी के लिए तमनार में काटे जा रहे पेड़ों का मुद्दा न उठा सके. हम न डरेंगे, न झुकेंगे।

बघेल ने इस कार्रवाई को केंद्र सरकार और अडानी समूह के खिलाफ उनकी मुखरता को दबाने की साजिश बताया, विशेष रूप से रायगढ़ जिले में पर्यावरणीय मुद्दों पर उनकी हालिया सक्रियता के संदर्भ में।

X पर समर्थकों की प्रतिक्रिया

कांग्रेस पार्टी और इसके समर्थकों ने इस कार्रवाई की कड़ी निंदा की, इसे केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा विपक्ष को निशाना बनाने का प्रयास बताया। कांग्रेस के आधिकारिक एक्स हैंडल से पोस्ट किया गया:

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के घर ईडी भेज दी गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग को अपने पालतू की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। विपक्ष का जो भी नेता उनके भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलता है, उस पर छापे डलवा दिए जाते हैं।

कांग्रेस समर्थक @kashikirai ने भी ट्वीट किया:

कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ आवाज़ बुलंद कर रहे हैं — और बदले में उन्हें ईडी, सीबीआई और पुलिस के जरिए डराया जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री आदरणीय श्री @bhupeshbaghel जी के बेटे की गिरफ्तारी भी इसी राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा है।

कांग्रेस कार्यकर्ताओं में इस कार्रवाई को लेकर गुस्सा देखा गया, विशेष रूप से क्योंकि यह चैतन्य के जन्मदिन पर हुई। @savedemocracyI ने बघेल के बयान को उद्धृत करते हुए लिखा:

ये लोग मेरे बेटे को निशाना बना रहे हैं, लेकिन हम ना डरेंगे और ना ही झुकने वाले हैं. विपक्ष को दबाने के लिए सब रणनीति अपनाई गई है।

शराब घोटाला क्या है?

2019 से 2022 के बीच, जब भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री थे, राज्य में शराब की बिक्री में बड़ा घपला हुआ। ईडी के मुताबिक, एक संगठित गिरोह ने नकली होलोग्राम, डुप्लिकेट बोतलें और फर्जी स्टॉक के जरिए करीब 2,174 करोड़ रुपये की अवैध शराब बेची। इस गिरोह में नेता, सरकारी अधिकारी और कारोबारी शामिल थे।

  • कैसे हुआ घोटाला?
    शराब की बोतलों पर लगने वाले होलोग्राम (जो बोतल की असलियत की गारंटी देते हैं) का ठेका नोएडा की एक ऐसी कंपनी को दिया गया, जो कथित तौर पर नियमों के लायक नहीं थी। यह कंपनी किसी प्रभावशाली अधिकारी से जुड़ी थी। इसने नकली होलोग्राम बनाए, जिन्हें छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (CSMCL) के जरिए शराब की दुकानों तक पहुंचाया गया।
    शुरुआत में हर महीने 800 पेटी शराब 200 ट्रकों में भेजी जाती थी, जिसकी कीमत 2,840 रुपये प्रति पेटी थी। बाद में सप्लाई बढ़ाकर 400 ट्रक कर दी गई, और कीमत भी 3,880 रुपये प्रति पेटी हो गई। तीन साल में इस तरह करीब 60 लाख पेटी शराब अवैध रूप से बेची गई, जिससे 2,174 करोड़ रुपये का गैरकानूनी मुनाफा कमाया गया।

चैतन्य बघेल की क्या भूमिका?

ईडी का कहना है कि चैतन्य बघेल इस घोटाले से कमाए गए पैसे के लेन-देन और संपत्ति में निवेश से जुड़े थे। यानी, घोटाले से मिले अवैध धन को कथित तौर पर उनके जरिए अलग-अलग जगह निवेश किया गया। हालांकि, चैतन्य के खिलाफ ठोस सबूत क्या हैं, यह अभी स्पष्ट नहीं है, क्योंकि जांच चल रही है। उनकी गिरफ्तारी आज उनके जन्मदिन के दिन हुई, जिसे भूपेश बघेल ने राजनीतिक साजिश करार दिया।

पहले कौन-कौन पकड़ा गया?

इस मामले में कई बड़े नाम पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं:

  • अनवर ढेबर: रायपुर के मेयर और कांग्रेस नेता एजाज ढेबर के भाई, जो इस घोटाले के मुख्य कारोबारियों में से एक बताए गए।
  • अनिल टुटेजा: एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी, जिन पर इस सिंडिकेट को संरक्षण देने का आरोप है।
  • अरुणपति त्रिपाठी: एक अन्य अधिकारी, जो इस घोटाले में शामिल थे।
  • कवासी लखमा: पूर्व आबकारी मंत्री, जिन पर हर महीने 2 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का आरोप है। उनके बेटे हरीश लखमा के पास से मिले डिजिटल सबूतों की भी जांच हो रही है।

प्रदेशभर में प्रदर्शन की योजना

ईडी ने चैतन्य बघेल को स्पेशल कोर्ट में पेश किया, जहां उसे पांच दिन की रिमांड मिल गई है। इस बीच, कांग्रेस ने पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई है, जिसमें ईडी और भाजपा के खिलाफ पुतला दहन शामिल है।

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