रायपुर। छत्तीसगढ़ में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की लापरवाही ने एक बार फिर इंसानियत को शर्मसार कर दिया है। बलौदाबाजार और सूरजपुर जिलों से दर्दनाक घटनाएं सामने आईं हैं, जहां गर्भवती महिलाओं को समय पर इलाज और देखभाल नहीं मिल पाया। नतीजा एक गर्भवती ने प्रसव से पहले ही दम तोड़ दिया, तो दूसरी को अस्पताल की फर्श पर असुरक्षित प्रसव करना पड़ा। दोनों मामलों में स्वास्थ्य कर्मियों की अनुपस्थिति और उदासीनता उभरकर सामने आई है।
बलौदाबाजार: पांच अस्पतालों के चक्कर में गई मां-बच्चे की जान
बलौदाबाजार जिले के लवन की रहने वाली 34 वर्षीय संतोषी साहू की डिलीवरी का समय आने पर परिवार पहले उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर गया, जहां डॉक्टर न मिलने पर 5 घंटे बाद जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। जिला अस्पताल में भी 3 घंटे तक कोई सर्जन नहीं आया, सिर्फ दो इंजेक्शन लगाए गए। हालत बिगड़ने पर ऑपरेशन से मना कर दिया गया और निजी अस्पताल भेजा गया। वहां आधे घंटे में 3 हजार रुपए का बिल बनाकर रायपुर रेफर कर दिया गया।
रास्ते में पलारी अस्पताल ले जाने पर डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उनके अजन्मे बच्चे की भी गर्भ में ही मौत हो चुकी थी। परिजनों ने डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
सूरजपुर: चार घंटे तक तड़पती रही महिला, फर्श पर हुआ प्रसव
सूरजपुर जिले के भटगांव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ग्राम असनाढोढ़ी निवासी 30 वर्षीय कुंती बाई को प्रसव पीड़ा होने पर परिजन अस्पताल लाए। लेकिन वहां न डॉक्टर थे, न नर्स। जिस नर्स की ड्यूटी थी, वह बिना सूचना के गायब थी, फोन भी बंद था। ड्यूटी डॉक्टर का भी संपर्क नहीं हो सका।
चार घंटे तक दर्द से तड़पने के बाद कुंती बाई ने अपनी सास की मदद से अस्पताल की फर्श पर ही नवजात को जन्म दिया। खून से फर्श लथपथ हो गई, जिसे उसकी सास ने खुद साफ किया। करीब चार घंटे बाद दूसरी ड्यूटी डॉक्टर पहुंचीं और सफाई दी कि उन्हें किसी ने जानकारी नहीं दी थी।
नवजात प्रीमैच्योर है और फिलहाल उसकी हालत नाजुक बताई गई है। सीएमएचओ ने मामले की जांच कमेटी बनाई है और दोषियों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया है।