बिलासपुर। अभ्यर्थी रश्मि वाकरे ने अधिवक्ता संदीप दुबे के जरिए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर राज्य सरकार से हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन कराने की मांग की। जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की सिंगल बेंच में इसकी सुनवाई हुई। कोर्ट ने अब चीफ सेक्रेटरी, सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) और पीएचई सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। साथ ही, अनुसूचित जनजाति (महिला) वर्ग में होने वाली नियुक्ति को फिलहाल कोर्ट ने अपने अधीन रखा है।
याचिका में क्या कहा गया?
रश्मि वाकरे का कहना है कि पीएचई ने मार्च 2025 में सब इंजीनियर (सिविल) के 118 पदों के लिए भर्ती निकाली। इनमें से 102 पद (बैकलॉग छोड़कर) विज्ञापित बताए गए हैं। विज्ञापन में 52 अनारक्षित, 15 एससी, 20 एसटी और ओबीसी के लिए 15% आरक्षण दिखाया गया है। याचिकाकर्ता के मुताबिक यह व्यवस्था 29 नवंबर 2012 के आरक्षण रोस्टर और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप नहीं है, जिससे वे मौके से वंचित हो रही हैं।
आरक्षण घटाने का आरोप
याचिका में कहा गया है कि राज्य शासन ने 29 नवंबर 2012 के संशोधन के बाद एससी 12%, एसटी 32% और ओबीसी 14% तय किया था (पहले एससी 16%, एसटी 20%, ओबीसी 14% था)। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर एसएलपी पर अंतरिम तौर पर निर्देश दिया था कि भर्ती 29 नवंबर 2012 के रोस्टर के अनुसार की जाए और सभी नियुक्तियां अंतिम आदेश के अधीन रहें। आरोप है कि पीएचई ने एसटी के लिए 32% की जगह 20% ही माना, जो नियमों के खिलाफ है।
चयन प्रक्रिया पर आपत्ति
रश्मि का कहना है कि लिखित परीक्षा के बाद 10 जुलाई को दस्तावेज़ जांच के लिए बुलाया गया, लेकिन 16 जुलाई के पत्र में एसटी श्रेणी में 19वें नंबर पर होने का हवाला देकर नहीं बुलाया गया। इसे वे गलत रोस्टर लागू करने का नतीजा बता रही हैं।
नियुक्ति पर अदालत का ध्यान रहेगा
कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है। अगली सुनवाई में पीएचई और जीएडी को बताना होगा कि भर्ती में आरक्षण रोस्टर और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन कैसे किया जा रहा है। तब तक एसटी (महिला) वर्ग की नियुक्ति पर अदालत की नजर बनी रहेगी।