रायपुर। बरसात के दिनों में रायपुर सहित प्रदेश के कई शहरों में पानी भरने की समस्या से लोग परेशान होते हैं। वजह, सालों से नवीनीकरण के नाम पर सड़कों पर बार-बार डामर की परत चढ़ती रही, जिससे सड़कें आसपास के मकानों से ऊंची हो गईं। नतीजा, मकानों की प्लिंथ अब सड़कों से नीचे हो चुकी है और बरसात में गंदा पानी घरों के अंदर घुस जाता है।
रायपुर के शंकर नगर में भी यही हाल था। यहां सड़कें इतनी ऊंची हो गईं कि दोनों ओर के मकान दो फीट नीचे आ गए। इस समस्या को लेकर नितिन सिंघवी ने 21 जनवरी को लोक निर्माण विभाग (PWD) के प्रमुख अभियंता से मुलाकात की। PWD ने गंभीरता दिखाते हुए अगले ही दिन रायपुर के मुख्य अभियंता को निर्देश दिए कि आगे से नवीनीकरण या मजबूतीकरण से पहले मिलिंग की जाए। यानी पुरानी डामर परत को मशीन से खुरचकर हटाया जाए, फिर नई परत डाली जाए। इससे सड़क की ऊंचाई नियंत्रित रहेगी और जलभराव की समस्या कम होगी।
नगर निगम में क्यों नहीं लागू हुआ आदेश?
सिंघवी ने 3 फरवरी को मुख्य सचिव को पत्र लिखकर यही व्यवस्था नगरीय निकायों में भी लागू करने की मांग की, क्योंकि रायपुर की 99% सड़कें नगर निगम के अधीन हैं। उन्होंने मद्रास हाईकोर्ट के 28 फरवरी 2020 के आदेश का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि मिलिंग को अनिवार्य किया जाए, इसका प्रचार अखबार और टीवी पर हो, शिकायत के लिए अधिकारियों के नंबर सार्वजनिक हों, और नियम तोड़ने वाले ठेकेदारों को ब्लैकलिस्ट कर मुआवजा लिया जाए।
नगरीय प्रशासन विभाग के अफसर प्रस्ताव से सहमत थे, लेकिन शासन से स्वीकृति लेने की प्रक्रिया में मामला अटक गया। छह महीने से अधिक समय बीत चुका है और अब तक आदेश जारी नहीं हुआ।
मिलिंग क्यों जरूरी है?
मिलिंग से सड़क की पुरानी ऊंचाई वापस लाई जा सकती है, लागत कम होती है और पर्यावरण को भी फायदा होता है। इंडियन रोड कांग्रेस ने इसके मानक तय किए हैं और PWD के शेड्यूल ऑफ रेट्स में इसकी दरें पहले से मौजूद हैं। नेशनल हाईवे अथॉरिटी और PWD ने रायपुर विधानसभा रोड समेत कई जगह मिलिंग के बाद सड़क नवीनीकरण किया है। मिलिंग से निकले मटेरियल का उपयोग दोबारा किया जाता है, जिससे लागत भी कम हो जाती है।
सिंघवी ने सवाल उठाया है कि जब PWD एक दिन में आदेश दे सकता है, तो नगरीय प्रशासन विभाग को इतना वक्त क्यों लग रहा है?













