बिलासपुर छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में हुए चर्चित पत्रकार मुकेश चंद्राकर हत्याकांड के मुख्य आरोपी ठेकेदार सुरेश चंद्राकर को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुरेश ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) द्वारा अपना टेंडर रद्द करने, 37 लाख रुपये की सुरक्षा जमा राशि जब्त करने और 10 प्रतिशत जुर्माना लगाने के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी।
लेकिन हाईकोर्ट ने इस मामले में दखल देने से साफ मना कर दिया और कहा कि यह अनुबंध से जुड़ा विवाद है, जिसका निपटारा आर्बिट्रेशन के जरिए होना चाहिए। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी, लेकिन आरोपी को आर्बिट्रेशन में जाने की छूट दी।
अफसरों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार
यह पूरा मामला भ्रष्टाचार और पत्रकारिता की आजादी से जुड़ा है। मुकेश चंद्राकर बीजापुर के एक युवा और निडर पत्रकार थे, जो स्थानीय स्तर पर भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार रिपोर्टिंग करते थे। वे एक टीवी चैनल और सोशल मीडिया पर काम करते थे। मुकेश ने पीडब्ल्यूडी की एक सड़क निर्माण परियोजना में बड़ी अनियमितताओं को उजागर किया था। यह परियोजना नेलसनार-फोड़ोली-मिर्टूर-गंगालूर मार्ग पर पुल और पुलिया बनाने की थी, जिसकी लागत करीब 3.86 करोड़ रुपये थी। ठेकेदार सुरेश चंद्राकर इस परियोजना का मुख्य ठेकेदार था। मुकेश ने अपने वीडियो और पोस्ट में बताया था कि इस परियोजना में लागत कई बार बढ़ाई गई, काम की गुणवत्ता खराब थी और अधिकारियों की मिलीभगत से घोटाला हो रहा था। इसके चलते मुकेश को कई बार धमकी मिली थी। 1 जनवरी 2025 को मुकेश की बेरहमी से हत्या कर दी गई। उनका शव सुरेश चंद्राकर के निर्माण स्थल पर बने सेप्टिक टैंक में मिला, जहां उन्हें मारकर दफना दिया गया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि उन्हें बहुत बुरी तरह पीटा गया था, जिससे दिल दहल जाता है। इस हत्याकांड ने पूरे छत्तीसगढ़ में हड़कंप मचा दिया और पत्रकारों ने बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन किया। राजनीतिक पार्टियां भी इसमें कूद पड़ीं – बीजेपी ने सुरेश को कांग्रेस से जुड़ा ‘कॉन्ट्रैक्ट किलर’ बताया, जबकि कांग्रेस ने इसे राजनीतिक साजिश करार दिया।
हैदराबाद से गिरफ्तार किया गया था आरोपी
हत्या की खबर मिलते ही पुलिस हरकत में आई। 3 जनवरी 2025 को शव मिलने के बाद पत्रकारों ने धरना दिया और जांच की मांग की। 4 जनवरी को पुलिस ने तीन संदिग्धों को हिरासत में लिया और पूछताछ शुरू की। 5 जनवरी को पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई, जिसने हत्या की क्रूरता की पुष्टि की। 6 जनवरी को मुख्य आरोपी सुरेश चंद्राकर को हैदराबाद से गिरफ्तार किया गया। उसकी पत्नी को भी हिरासत में लिया गया। राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित किया, जिसकी अगुवाई मयंक गुर्जर ने की। एसआईटी ने तेजी से काम किया और मार्च 2025 में 1000 से 1200 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की, जिसमें 72 गवाहों के बयान और सबूत शामिल थे। चार लोगों को आरोपी बनाया गया, जिसमें सुरेश मास्टरमाइंड था। जुलाई 2025 में पुलिस ने पीडब्ल्यूडी के पांच अधिकारियों को गिरफ्तार किया, क्योंकि वे परियोजना में भ्रष्टाचार में शामिल थे और मुकेश की रिपोर्टिंग से जुड़े थे। पुलिस ने कहा कि हत्या का मकसद भ्रष्टाचार छिपाना था।
साजिश, फिर हत्या, बाद में सबूत मिटाने की कोशिश
मार्च 2025 में बीजापुर जिला अदालत में चार्जशीट दाखिल होने के बाद मुकदमा शुरू हुआ। अदालत ने आरोपियों पर हत्या, साजिश और सबूत मिटाने के आरोप लगाए। सुरेश चंद्राकर ने जमानत की कोशिश की, लेकिन अब तक राहत नहीं मिली। जुलाई 2025 में गिरफ्तार पीडब्ल्यूडी अधिकारियों पर भी सुनवाई चल रही है। नवीनतम अपडेट में, 22 अगस्त 2025 को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सुरेश की याचिका खारिज कर दी। सुरेश ने दावा किया था कि उसने परियोजना का ज्यादातर काम पूरा कर लिया था और गिरफ्तारी के कारण शेष काम रुक गया, लेकिन कोर्ट ने कहा कि यह अनुबंध का मामला है और इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की बेंच ने फैसला सुनाया। मामले की सुनवाई अभी जारी है और पत्रकार संगठन न्याय की मांग कर रहे हैं।