बिलासपुर। नीट परीक्षा 2025 में आवेदन पत्र जमा करने के बाद अभ्यर्थियों को पोर्टल पर विवरण संपादित करने और ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र लगाने की अनुमति देने को लेकर दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने साफ कहा है कि इसमें कोई अवैधता या अनियमितता नहीं है। कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए माना कि उम्मीदवारों को विकल्प भरने और लॉक करने की अंतिम तिथि से पहले श्रेणी बदलने या विवरण सुधारने का पूरा अधिकार है।

मामला भिलाई निवासी शुभांगी सिन्हा का है। उन्होंने ईडब्ल्यूएस श्रेणी के तहत नीट-यूजी 2025 के लिए आवेदन किया और परीक्षा में उत्तीर्ण भी हुईं। राज्य परामर्श समिति ने 26 जुलाई 2025 को जो मेरिट सूची जारी की, उसमें उन्हें अखिल भारतीय रैंक 171712 और स्कोर 421 के आधार पर क्रमांक 1702 पर स्थान दिया गया था। लेकिन 31 जुलाई को आयुक्त, चिकित्सा शिक्षा ने अभ्यर्थियों को पोर्टल पर विवरण संपादित करने का अवसर दिया। इस दौरान कई उम्मीदवारों ने ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र जमा करके श्रेणी बदल ली। संशोधित सूची में याचिकाकर्ता का क्रमांक 2008 हो गया और उनकी ईडब्ल्यूएस श्रेणी रैंक 137 रही।

याचिकाकर्ता ने इसे चुनौती देते हुए कहा कि आवेदन जमा होने और मेरिट सूची प्रकाशित होने के बाद श्रेणी बदलने की अनुमति छत्तीसगढ़ राजपत्र अधिसूचना दिनांक 16 जुलाई 2025 तथा चिकित्सा शिक्षा नियम 2025 के नियम 6 और 7 के खिलाफ है। उनका कहना था कि इससे चयन और काउंसलिंग की प्रक्रिया प्रभावित हुई है।

मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बीडी गुरु की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के बाद माना कि 28 जुलाई 2025 के पत्र में ही स्पष्ट रूप से उल्लेखित है कि विकल्प भरने और लॉक करने की अंतिम तिथि से पहले अभ्यर्थी अपने आवेदन पत्र में सुधार कर सकते हैं। आयुक्त चिकित्सा शिक्षा का निर्णय नियमों के अनुरूप है और इसे अवैध नहीं कहा जा सकता।

कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता अपने आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त सामग्री प्रस्तुत नहीं कर सकीं। लिहाज़ा उनकी रिट याचिका खारिज कर दी जाती है।

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