बिलासपुर। मोहनभाठा का वह मैदान, जहां सालों से देसी और प्रवासी पक्षियों का झुंड डेरा जमाता था, अब धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है। यहां नई मुरूम खदान की खुदाई शुरू हो गई है। अफसरों की आंखों के सामने यह सब हो रहा है, लेकिन कार्रवाई अब तक शून्य है। रात के अंधेरे में जेसीबी, हाईवा और ट्रैक्टर पहुंचकर मुरूम खोद रहे हैं और सुबह होने से पहले ही गायब हो जाते हैं।

प्रवासी पक्षियों के लिए खतरा

इस इलाके में हर साल मानसून की शुरुआत के साथ दर्जनभर से ज्यादा प्रवासी पक्षी आते हैं, जिनमें कॉमन सैंड पाइपर और पैसिफिक गोल्डन प्लोवर प्रमुख हैं। इनके साथ देसी पक्षी, लोमड़ी, खरगोश और सियार जैसे छोटे वन्य जीवों का भी यह आश्रय स्थल रहा है। लेकिन मुरूम की अवैध खुदाई ने इन सबका प्राकृतिक घर छीन लिया है।

गांववालों की खामोशी और अफसरों की मिलीभगत

ग्रामीणों के अनुसार, खुदाई दिवाली के आसपास शुरू हुई। पहले मैदान पूरी तरह समतल था, लेकिन अब यहां पांच फीट तक गहरे गड्ढे हो गए हैं। गांववाले विरोध नहीं कर रहे क्योंकि उन्हें लगता है कि किसी को जमीन की लीज़ मिल गई होगी। जबकि शासन स्तर पर मुरूम खनन पूरी तरह प्रतिबंधित है। न किसी को लीज़ दी गई है, न किसी को स्वीकृति। फिर भी मुरूम की सप्लाई सड़कों और प्लॉटिंग में बेरोकटोक हो रही है — जो विभागों की मिलीभगत का साफ सबूत है।

प्रशासन को जानकारी, फिर भी चुप्पी

ग्रामीणों का कहना है कि पुलिसकर्मी खुद मौके पर आकर वीडियो बना चुके हैं, लेकिन अब तक किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई। एसडीएम नितिन तिवारी का कहना है कि “अभी तक कोई शिकायत नहीं मिली है, जांच करवाई जाएगी।”

बारिश में बढ़ेगा खतरा

अगर यही हाल रहा तो आने वाले बरसात में पूरा मैदान गहरे तालाब में बदल सकता है। बस्ती से लगे होने के कारण इसमें बच्चों और मवेशियों के डूबने का खतरा बढ़ जाएगा। फिलहाल भी इतनी गहराई हो चुकी है कि कोई पांच फीट का बच्चा इसमें डूब सकता है।

प्रकृति प्रेमियों में निराशा

मोहनभाठा के इस मैदान में सैकड़ों प्रवासी पक्षियों का बसेरा रहा है। शहर और आसपास के इलाकों से लोग इन्हें निहारने पहुंचते थे। अब मुरूम माफिया और प्रशासन की उदासीनता से यह पक्षी विहार खत्म होने की कगार पर है।

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