बिलासपुर । हाथियों की मौत के मामलों पर सख्त हुई अदालत, कहा—अब सिर्फ आश्वासन नहीं, ठोस कदम चाहिए

छत्तीसगढ़ के जंगलों में खुले गड्ढों और सूखे कुओं में फंसकर हाथियों की मौत के मामले पर मंगलवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान अदालत ने राज्य सरकार से पूछा कि वन्य प्राणियों को इन हादसों से बचाने के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं।

सरकार की ओर से दिए गए जवाब में बताया गया कि प्रदेश के वन क्षेत्रों में लगभग 20 हजार खुले गड्ढे और कुएं मौजूद हैं, जो जानवरों के लिए खतरा बने हुए हैं। अदालत ने इस पर शपथपत्र (affidavit) के माध्यम से विस्तृत रिपोर्ट देने का आदेश दिया है।


बलौदाबाजार में फिर हुआ हादसा, तीन हाथी और शावक गिरे सूखे कुएं में

सुनवाई के दौरान कोर्ट कमिश्नर ने डिवीजन बेंच को बताया कि हाल ही में बलौदाबाजार जिले के बार नवापारा अभयारण्य के हरदी गांव में तीन हाथी और उनका शावक सूखे कुएं में गिर गए थे।
उन्हें जेसीबी मशीन की मदद से बाहर निकाला गया, लेकिन घटना ने फिर से वन विभाग की लापरवाही को उजागर कर दिया।

हाईकोर्ट ने पूछा कि ऐसे खुले कुएं और गड्ढों को ढंकने या सुरक्षित करने के लिए क्या व्यवस्था की गई है, और यह काम कब तक पूरा होगा?


रायगढ़ हादसे के बाद लिया गया था संज्ञान

बीते महीने रायगढ़ वन क्षेत्र में पानी भरे गड्ढे में हाथी के शावक की मौत के बाद हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए कहा था कि सरकार को “ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस और त्वरित कदम” उठाने होंगे।

राज्य सरकार ने उस समय कहा था कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए निगरानी और निरीक्षण तंत्र मजबूत किया जाएगा।


कोर्ट की नाराजगी—‘सिस्टम में कमी साफ दिख रही है’

मंगलवार की सुनवाई में अदालत ने कहा कि वन विभाग के पास अभी भी जलस्रोतों और गड्ढों की निगरानी का कोई ठोस सिस्टम नहीं है।
कोर्ट ने टिप्पणी की कि बीट और रेंज स्तर के कर्मचारी संसाधनों की कमी के कारण ऐसी आपात स्थितियों से तुरंत निपट नहीं पाते।

अदालत ने कहा कि हाथियों के शावकों की बार-बार हो रही मौतें वन्यजीव संरक्षण की गंभीर विफलता को दिखाती हैं।


अगली सुनवाई 15 दिसंबर को

कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि 15 दिसंबर को अगली सुनवाई के दौरान विस्तृत शपथपत्र प्रस्तुत किया जाए, जिसमें यह बताया जाए कि अब तक कौन-कौन से कदम उठाए गए हैं और कितने गड्ढे या कुएं सुरक्षित किए जा चुके हैं।

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