छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने PWD सचिव से मांग जवाब

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक गंभीर मामले को स्वत: संज्ञान में लिया है, जिसमें नई कंपोजिट सरकारी बिल्डिंग में पिछले 6 महीने से लिफ्ट बंद पड़ी है। इस बिल्डिंग में 22 विभागों के दफ्तर हैं, जहां रोजाना करीब 250 कर्मचारी और उतनी ही संख्या में लोग आते-जाते हैं। लिफ्ट न चलने से खासकर दिव्यांग कर्मियों को भारी परेशानी हो रही है।

दिव्यांग कर्मियों की दर्दभरी दास्तां

इस बिल्डिंग में तैनात चार दिव्यांग कर्मचारी—संतोषी ध्रुव (लेबर इंस्पेक्टर), दीपक तिवारी (योजना एवं सांख्यिकी विभाग), और के.एस. पाइकरा व एस. यादव (टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग)—को रोज सीढ़ियां चढ़नी पड़ रही हैं। संतोषी ध्रुव, जो बैसाखी के सहारे चलती हैं, पहली मंजिल तक पहुंचने के लिए 24 सीढ़ियां एक-एक कदम से पार करती हैं। यह दैनिक संघर्ष उनकी शारीरिक थकान को दर्शाता है।

मूलभूत सुविधाओं का अभाव

लिफ्ट के अलावा बिल्डिंग में पीने का पानी भी उपलब्ध नहीं है। 2013 में करीब 8 करोड़ रुपये की लागत से बनी इस बिल्डिंग में कर्मचारी अपनी जेब से पानी की बोतलें खरीदते हैं। विभागों ने कलेक्टर से लिफ्ट ठीक करने और नई लिफ्ट शुरू करने की मांग की है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

हाईकोर्ट का सख्त रुख

हाईकोर्ट ने इस मामले में गंभीरता दिखाते हुए लोक निर्माण विभाग के सचिव से व्यक्तिगत हलफनामा दायर करने का आदेश दिया है। इसमें पुरानी लिफ्ट की मरम्मत की स्थिति, नई लिफ्ट में देरी के कारण, और दोनों लिफ्टों को चालू करने की समय-सीमा साफ करनी होगी। साथ ही, दिव्यांगों के लिए सुविधाओं और बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के उपाय भी बताने होंगे। अगली सुनवाई 13 नवंबर को होगी।

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