बिलासपुर। (प्राण चड्ढा/ फेसबुक) विकास पगला गया है। अक्सर राजनीति में यह तंज कसा जाता है, पर न्यायधानी बिलासपुर से राजधानी रायपुर के बीच बन रही फोर लेन सड़क मौजूदा जिस हाल में है उससे आने-जाने वाले लोग सचमुच परेशान हो सकते हैं, पगला सकते हैं।
बिलासपुर से रायपुर सीधी सड़क कोई 120 किमी है। कुछ अधूरी-कुछ पूरी बनी है।
इस राह में सरगांव ,नांदघाट, बैतलपुर, विश्रामपुर, सिमगा वे कस्बे थे जहां आने-जाने वालों को भोजन, दवा, फल सब नसीब होते थे।
तरपोंगी का होटल शुद्ध दूध की रबड़ी और चाय समोसा के लिए पसंदीदा रहा। पर नई सड़क जब बनी तो ये सब कस्बे कट गए। ये सड़क दूर से यानि ऊंचाई से जाती है। रेल मार्ग से यह पहले से ही कटे हुए थे।
अब दशा ये है कि सड़क से आने जाने वालों से जो काम धंधा चलता था, वह मन्दा हो चुका है। दिन-रात चलने वाले लाइन के ढाबों में वीरानी पसरी है। सिमगा इस सड़क का बड़ा शहर था। कल यहां पानी की कमी को टेंकर दूर कर रहा था। कभी सिमगा के पास राजधानी या हाईकोर्ट की उम्मीद थी। यह उम्मीद छतीसगढ़ राज्य की स्थापना के वक्त लगी थी। आज इसकी हालत देख लड़की देने वाले भी सोचेंगे।
नांदघाट की शिवनाथ नदी की रेत में खेती कर इन दिनों कलिंदर, खरबूजे की बहार सड़क के किनारे लगी रहती है। और ये सौगत आने जाने वाले कार- बाइक में लोग भर कर ले जाते हैं। पर, अफसोस अब यह सहूलियत भी नई सड़क से कट गई है।
आधी-अधूरी सड़क किनारे गांवों के नाम की सूचना है, पर वहां तक पहुंचने की कोई राह नहीं है। विकास का यह आलम है कि हरियाली की निर्ममता से हत्या हो चुकी है। दुपहरी में मृग मरीचिका का पीछा करती हमारी कार, बाइक, बस दौड़ती है। जगह-जगह रोड बन रही और अबूझ डायवर्सन है।
रात में कार,बस से आने वालों को पानी, दवा, भोजन सब लेकर चलना होगा। आप चाय तक के लिए तरस जायेंगे। रात में यह सफर कुशलता से पूरा कर लें और राह नहीं भूलें तो मानकर चलें कि वह पायलट के योग्य है और आपका नेविगेशन सिस्टम सही काम कर रहा है।
केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय राजमार्ग -30 और 130 (पुराना NH-200) के रायपुर-बिलासपुर खंड के चार और छह लेन के विकास को मंजूरी सन् 2014 में दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने मंजूरी प्रदान की।
यह परियोजना सड़क रायपुर-बिलासपुर खंड में औद्योगिक क्षेत्र की ओर जाने वाले प्रमुख यातायात को भी पूरा करेगी यह दावा है। दावा यह भी है कि परियोजना की गतिविधियों के लिए स्थानीय मजदूरों के लिए रोजगार की संभावना बढ़ी। यह कार्य राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना (NHDP) चरण- IV के तहत हो रहा है। डिजाइन, बिल्ड, फाइनेंस, ऑपरेट एंड ट्रांसफर (बीओटी / डीबीएफओटी) आधार पर अनुमोदन बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर-ट्रांसफर (बीओएल) मोड में है।