दिसम्बर में होगा राज्य स्तरीय मूल्यांकन, चिंतित प्रबंध संचालक ने शिक्षा अधिकारियों को लिखा पत्र

बिलासपुर। सरकारी स्कूलों में अध्ययनरत आठवीं, 9वीं कक्षा के पढ़ाई में कमजोर बच्चों के लिये लाखों रुपये खर्च कर चलाये जा रहे निखार कार्यक्रम की उपलब्धि केवल दो प्रतिशत रही है। यानि 98 प्रतिशत बच्चों को इस योजना से लाभ ही नहीं पहुंचाया जा सका है।

बिलासपुर सहित प्रदेश के कांकेर, बीजापुर, महासमुंद, रायपुर, कोरबा, दुर्ग, गरियाबंद, जांजगीर-चाम्पा और बलौदा बाजार जिले में बच्चों की समझ का स्तर उनकी कक्षा में होने वाली पढ़ाई के अनुरूप तक लाने के लिए निखार कार्यक्रम लागू किया गया है।

आठवीं कक्षा और विशेषकर नवमी कक्षा के बच्चों की उपलब्धियों में सुधार के लिए प्राथमिक कक्षा की पढ़ाई को बेस लाइन बनाया गया। बच्चों में देखा जाना था कि कितने बच्चों में कोर्स की समझ कक्षा तीन और पांच के स्तर की है तथा कितने बच्चे आठवीं के स्तर के हैं। इस आकलन के बाद बच्चों के स्तर में सुधार के लिए लगातार प्रयास किया जाना था। कार्यक्रम के अंतर्गत नियमित कक्षाओं में इन बच्चों के लिए 69 दिनों के भीतर 200 घंटे की पढ़ाई का कार्यक्रम रखा गया। फाउन्डेशन  पाठ्यक्रम के अंतर्गत प्रतिदिन एक-एक घंटे की हिन्दी, अंग्रेजी, गणित व विज्ञान की कक्षाएं भी आयोजित करने कहा गया था। अध्यापन में बेहतर स्तर के बच्चों को अपने कम स्तर के बच्चों की दक्षता में सुधार का दायित्व दिया गया। इसी तरह आगे के दिनों में 45 दिनों तक अंग्रेजी, गणित व विज्ञान में एक दूसरे का सहयोग कर दक्षता बढ़ाने की प्रक्रिया अपनाने तथा अंतिम चरण में इन विषयों पर छह दिनों का विशेष शिविर लगाने कहा गया था।

इन चरणों के पूरा होने के बाद राज्य स्तरीय मूल्यांकन की बारी आई है। इस चरण में पता चला कि डाइट द्वारा संचालित यह कार्यक्रम सभी जिलों में विफल हुआ है।

समग्र शिक्षा अभियान के प्रबंध संचालक पी.दयानंद द्वारा इस सम्बन्ध में दसों जिलों के जिला शिक्षा अधिकारी, डाइट के प्राचार्य और राजीव गांधी शिक्षा मिशन के जिला समन्वयकों को जारी पत्र से इसका पता चलता है। पत्र में कहा गया है कि निखार कार्यक्रम के तहत बेसलाइन में कक्षा आठवीं और विशेषकर नवमीं कक्षा के बच्चों की दक्षता में सुधार के लिए चलाये जा रहे कार्यक्रम की उपलब्धि केवल दो प्रतिशत रही है। यह बहुत कम है। ऐसे में इस कार्यक्रम के लिए बहुत अधिक कार्य किये जाने की आवश्यकता है। जिला स्तर से फील्ड की रिपोर्ट उत्साहजनक नहीं है।

अब प्रबंध संचालक ने निर्देश दिया है कि माह जनवरी  तक तीन चरणों का अध्यापन कार्य पूरा कर लिया जाये। सभी दर्ज बच्चे निखार कार्यक्रम में अंतिम चरण तक भाग लें यह सुनिश्चित करें। प्रत्येक बच्चे अभ्यास कार्य को पूरा कर लें और शिक्षक इन्हें जांच कर सुधार कार्य करायें। जिले के स्तर पर कार्यक्रम की सघन मॉनिटरिंग की जाये ताकि अपेक्षित परिणाम दिखाई दे। प्रत्येक जिले में नोडल अधिकारी जिला शिक्षा अधिकारी को बनाया गया है वे इस कार्यक्रम को निर्धारित मापदंड के अनुसार चलाकर अपेक्षित परिणाम सामने लाएं।

निखार कार्यक्रम के तहत राज्य स्तरीय मूल्यांकन दिसम्बर 2019 में प्रस्तावित किया गया है। जिलों के शिक्षा अधिकारियों से इस अवधि में नियमित पाठ्यक्रम के साथ निखार कार्यक्रम के पाठ्यक्रम को भी जोड़ा जाये।

 

 

 

 

 

 

 

कोई जवाब दें

Please enter your comment!
Please enter your name here