बिलासपुर। जिला जज की प्रतियोगी परीक्षा में भाग लेने वाले प्रतिभागियों के लिये एडीजे द्वारा जारी अनुशंसा मान्य हो सकती है या नहीं इसे विधि का प्रश्न बताते हुए हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने इसे चीफ जस्टिस को रेफर किया है।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट द्वारा सन् 2020 में डिस्ट्रिक जज इंट्री लेवल की प्रवेश परीक्षा आयोजित की गई थी, जिसमें आवेदन करने वाले रामकृपाल राय व अनिल कुमार उपाध्याय का आवेदन इस आधार पर खारिज कर दिया गया क्योंकि उनके द्वारा आवेदन पत्र के साथ प्रस्तुत अनुभव प्रमाण पत्र जिला न्यायाधीश द्वारा नहीं बल्कि अतिरिक्त जिला न्यायाधीश द्वारा अनुशंसित किया गया था।
दोनों आवेदकों ने अपने को अपात्र घोषित किये जाने के खिलाफ अधिवक्ता जे पी शुक्ला के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि हाईकोर्ट बार द्वारा दिये जाने वाले अनुभव प्रमाण पत्र के आधार पर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल अथवा रजिस्ट्रार द्वारा अनुशंसा की जाती है किन्तु जिला कोर्ट में बार के अनुभव प्रमाण पत्र को केवल जिला न्यायाधीश द्वारा अनुशंसित करने का अधिकार दिया गया है। जिस तरह से रजिस्ट्रार जनरल की प्रशासनिक व्यस्तता के कारण रजिस्ट्रार को भी अनुशंसा का अधिकार हाईकोर्ट में दिया गया है उसी तरह से जिला न्यायाधीश भी प्रशासनिक व्यस्तता के कारण अतिरिक्त जिला न्यायाधीश को अनुशंसा का अधिकार दे सकते हैं। अतः इस आधार पर दोनों को अपात्र घोषित नहीं किया जाना चाहिये।
दोनों आवेदकों ने गाजीपुर (यूपी) के अतिरिक्त जिला न्यायाधीश से अनुशंसा प्राप्त कर आवेदन के साथ जमा किया है क्योंकि वहां पर जिला न्यायाधीश ने यह अधिकार व्यस्तता के कारण उन्हें दिया। ऐसी ही अनुशंसा के आधार पर उत्तरप्रदेश व राजस्थान उच्च न्यायिक सेवा की परीक्षाओं में भी उनके आवेदन स्वीकार किये गये हैं।
जस्टिस संजय के. अग्रवाल सिंगल बेंच ने 28 अगस्त को इस मामले की अंतिम सुनवाई के बाद 31 अगस्त को इस पर फैसला देते हुए याचिकाकर्ता के तर्कों से सहमति जताई और इसे विधि का प्रश्न बताते हुए व्यवस्था के लिये कार्यवाहक चीफ जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा के पास भेज दिया।