दैनिक भास्कर का कहा जाना- “मैं स्वतन्त्र हूं, क्योंकि मैं भास्कर हूं।“ और भास्कर में चलेगी पाठकों की मर्जी.., के बाद ऐसा लग रहा है कि भास्कर के 40 स्थानों पर आयकर छापे बाद यह संकेत है कि दैनिक भास्कर अपने रुख और नीति से हिलने-डरने वाला नहीं और मोदी सरकार की चुभने वाली खबरें फिलहाल रुकने वाली नहीं हैं।
दैनिक भास्कर के प्रमुख रमेश अग्रवाल के बाद इस समूह को उनके ज्येष्ठ पुत्र सुधीर अग्रवाल ने गति दी। गिरीश और पवन अग्रवाल भी अपने भाई सुधीर अग्रवाल के साथ हो गए और फिर इस पत्र समूह में कई 60 से अधिक संस्करण देश में शुरू होने में देर नहीं लगी।


कोरोना काल की मौत और केन्द्र और राज्य सरकार की हर खबर दैनिक भास्कर में निरंतर प्रकाशित हो रही है। गोदी मीडिया के दौर में जो सरकार के लिये तकलीफदेह रही होगी।

जानकार समझ रहे थे कि अब ‘दैनिक भास्कर’ पर कोई निशाना कभी लग सकता है। इसलिए आयकर की कार्रवाई को आज अप्रत्याशित नहीं माना गया। छापे में क्या मिलता है या नहीं, यह बात बाद की है। पर यह साफ लग रहा है कि यह दबाव मीडिया की आवाज़ दबाने के लिए उठाया गया है। यह ट्वीटर और सोशल मीडिया से प्रतिध्वनित हो रहा है।
लेकिन दैनिक भास्कर ने भी ट्वीट कर अपनी रणनीति जाहिर कर दी है कि उसे डिगाया नहीं जा सकता। वह स्वतन्त्र है औऱ पाठकों का अखबार है। अगर बात और आगे गई तो सत्ता और अख़बार का एक और मुकाबला एमरजेंसी बाद शुरू होने के आसार बन जायेंगे, जैसा इंडियन एक्प्रेस के रामनाथजी गोयनका और इंदिरा सरकार के दौरान देखा गया था।
दैनिक भास्कर के एमडी सुधीर अग्रवाल दिखने में सरल पर बड़े जटिल व्यक्ति सबित होंगे। उनके दोनों भाई गिरीश और पवन अग्रवाल भी दैनिक भास्कर परिवार में अपनी पहचान बना चुके हैं। सत्ता के साथ इस मुकाबले में दैनिक भास्कर को दूरगामी लाभ होगा। आज वह हिंदी के सबसे बड़ा अखबार होने का दावा करता है। कल वह सबसे अधिक पढ़ा जाने वाला अखबार स्वमेव बन जायेगा। लेकिन ये दैनिक भास्कर की लड़ाई अकेले नहीं, बात अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की है इसलिए इसका दायरा व्यापक होता जाएगा।

(दैनिक भास्कर बिलासपुर के पूर्व सम्पादक प्राण चड्ढा के फेसबुक पेज से साभार) 

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