बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति ए.के. प्रसाद की खंडपीठ ने बुधवार को बिलासपुर एयरपोर्ट विकास से जुड़ी जनहित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान नाइट लैंडिंग सुविधा के लिए भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) द्वारा मांगे गए दो साल के समय पर असहमति जताई। खंडपीठ ने कहा कि यह समय सीमा बहुत अधिक है, जबकि एयरपोर्ट पर इस कार्य के लिए पहले से ही लंबे समय से काम चल रहा है।

रूस-कोरिया का हवाला, खंडपीठ ने जताई असहमति

सरकार ने नाइट लैंडिंग उपकरण के लिए दक्षिण कोरिया से आयात का हवाला देते हुए अधिक समय मांगा। AAI के वकील अनुमेह श्रीवास्तव ने खंडपीठ को बताया कि पहले यह उपकरण रूस से आयात होना था, लेकिन युद्ध के कारण देरी हुई। अब नया उपकरण लाने के लिए दो साल का समय चाहिए।

खंडपीठ ने इस तर्क पर असहमति जताते हुए कहा कि रूस और दक्षिण कोरिया की परिस्थितियों में बड़ा अंतर है। कोरिया में कोई युद्ध जैसी स्थिति नहीं है। अदालत ने निर्देश दिया कि AAI का सक्षम अधिकारी एक सप्ताह के भीतर शपथपत्र दाखिल करे और बताए कि यह उपकरण कितने कम समय में आयात किया जा सकता है और बिलासपुर एयरपोर्ट पर नाइट लैंडिंग सुविधा कब तक उपलब्ध होगी।

याचिकाकर्ताओं का तर्क: काम लगभग पूरा

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आशीष श्रीवास्तव और अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने बताया कि नाइट लैंडिंग से जुड़े कई काम पहले ही पूरे हो चुके हैं, सिर्फ मशीन लगाई जानी बाकी है। ऐसे में AAI द्वारा मांगा गया दो साल का समय अनुचित है। उन्होंने यह भी कहा कि पहले तय कार्यक्रम के अनुसार, 2024-25 में बिलासपुर एयरपोर्ट पर नाइट लैंडिंग सुविधा शुरू होनी थी।

4C एयरपोर्ट बनाने की दिशा में सरकार का जवाब

राज्य सरकार ने भी आज सुनवाई के दौरान शपथपत्र दाखिल कर बताया कि बिलासपुर एयरपोर्ट को 4C श्रेणी में बदलने के लिए आवश्यक डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) तैयार करने का काम टेंडर प्रक्रिया से होगा। इसके लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट तैयार करने का कार्य चल रहा है, जिसमें विभिन्न परामर्शदात्री कंपनियों को शामिल किया जाएगा।

खंडपीठ ने कहा कि इस विषय पर आवश्यक दिशा-निर्देश अगली सुनवाई में दिए जाएंगे। मामले की अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद होगी।

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