पीआईएल लगाने वाले सिंघवी ने समाधान निकालने के लिये मुख्य सचिव को पत्र लिखा
रायपुर। छत्तीसगढ़ में हाथी दो विभागों के बीच 1674 की लड़ाई में फंस कर बिजली करंट से जान गवा रहे हैं। 2019 से लेकर अब तक 15 हाथियों की मौत करंट लगने से हो चुकी है। जशपुर क्षेत्र में फिर एक हाथी की बिजली करंट से हो मौत हो गई। छत्तीसगढ़ में बिजली करंट से हो रही हाथियों की मौत के मामले वर्ष 2018 में जनहित याचिका लगाने वाले रायपुर के नितिन सिंघवी ने मुख्य सचिव को पत्र लिख कर समाधान निकलने हेतु पत्र लिखा है।
सिंघवी ने बताया कि दरअसल वर्ष 2018 में छत्तीसगढ़ में हाथियों की करंट से मौत के संबंध में दायर जनहित याचिका के दौरान छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी ने वन विभाग से 1674 करोड़ रुपये की मांग की थी। यह राशि हाथियों को मौत से बचाने के लिए कंपनी ने 810 किलोमीटर 33 केवी लाइन और 3761 किलोमीटर 11 केवी लाइन की ऊंचाई बढ़ाकर कवर्ड कंडक्टर लगाने और 3976 किलोमीटर निम्न दाब लाइन में एबी केबल लगाने की योजना बनाई थी।
वन विभाग ने भारत सरकार पर्यावरण वन एव जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से इस राशि की मांग की। जवाब में भारत सरकार ने जून 2019 में वन विभाग को लिखा कि विद्युत लाइनों का सुधार कार्य करने व कवर्ड कंडक्टर लगाने का कार्य विद्युत वितरण कंपनी का है और उन्हें अपने बजट से इसे पूरा करना है।
सर्वोच्च न्यायालय और राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के निर्णयों का हवाला देते हुए केन्द्रीय पर्यावरण वन एव जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने लिखा कि अगर वितरण कंपनी इस कार्य में फेल होती है तो दोषियों के विरुद्ध वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, इंडियन पेनल कोड और इलेक्ट्रिसिटी एक्ट के तहत कार्रवाई की जाए।
वितरण कंपनी ने कहा- हम पर नहीं लागू होते सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के आदेश
भारत सरकार से निर्देश मिलने के पश्चात वन विभाग ने तत्काल विद्युत लाइनों में 1674 करोड़ रुपये के कार्य अपने बजट से करने के लिए वितरण कंपनी को लिखा। इसके जवाब में वितरण कंपनी ने लिखा कि सुप्रीम कोर्ट व नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का आदेश छत्तीसगढ़ राज्य पर लागू होना नहीं माना जा सकता और लाइनों की ऊंचाई बढ़ाने कवर्ड कंडक्टर और केबल लगाने के लिए 1674 करोड़ रुपये देंगे तभी सुधार कार्य हो सकेगा।
जारी है दोनों विभागों में पत्राचार?
2018 में दायर जनहित याचिका का निराकरण करते हुए छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने कहा था कि याचिका का निराकरण करने का यह मतलब नहीं निकाला जाए कि अधिकारी गहन निद्रा में चले जाएं। चालू किए गए अच्छे कार्य जारी रहने चाहिए। अधिकारी खुद के लिए नहीं तो आने वाली पीढ़ी के लिए अच्छे कार्य करें। नितिन सिंघवी ने बताया कि 3 वर्ष हो गए है परंतु वितरण कंपनी 1674 रुपये के कार्य नहीं करा रही है और हाथी मर रहे हैं। परंतु इस बीच में दोनों विभाग कागजी खानापूर्ति में कोई कमी नहीं कर रहे हैं। वन विभाग बार-बार स्मरण पत्र जारी कर रहा है और वितरण कंपनी 1674 करोड़ रुपये की मांग कर रही है।
वितरण कंपनी के मैदानी अमले पर एफआईआर
पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से निर्देश मिलने के बाद प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) ने अपने समस्त अधीनस्थों को जून 2019 में आदेश दिया कि वन्य प्राणियों खासकर हाथी, भालू, तेंदुआ आदि की करंट से मृत्यु होने के पर बिजली वितरण कंपनी के जिला अधिकारियों के विरुद्ध वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, इंडियन पैनल कोड और इलेक्ट्रिसिटी एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज कर कोर्ट में चालान प्रस्तुत करें। जून 2020 में रायगढ़ के गेरसा में अवैध विद्युत कनेक्शन से एक हाथी की मृत्यु होने के बाद धरमजयगढ़ उप संभाग के सहायक यंत्री और अन्य विभागीय कर्मचारियों के विरुद्ध प्रकरण दर्ज कर न्यायिक हिरासत में भी भेजा गया। इस पर विद्युत वितरण कंपनी ने प्रमुख सचिव वन विभाग छत्तीसगढ़ शासन को पत्र लिखकर इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 और अधिसूचना दिनांक 13 अप्रैल 2015 का हवाला देते हुए कहा कि वन विभाग के मैदानी अधिकारियों को वैधानिक सीमा में रहकर कार्य करने के शीघ्र निर्देश दिया जाये। विद्युत वितरण कंपनी ने कहा है कि हाथी प्रभावित क्षेत्रों की लाइनों में स्वयं के संसाधनों से सर्वेक्षण कराकर बहुत से कार्य किए जा चुके हैं परंतु अगर आवश्यक राशि का भुगतान शासन अथवा वन विभाग द्वारा नहीं किया जाता है तो ऐसी स्थिति में वन विभाग की मंशा के अनुसार कार्य कर पाना संभव नहीं हो सकेगा।
हाथी जंगल में ही रहे और रिहायशी क्षेत्र में ना आए
विद्युत वितरण कंपनी ने प्रमुख सचिव को प्रेषित पत्र में यह भी कहा है कि वन्य प्राणी हाथी जंगल में ही रहे और रिहायशी क्षेत्र में ना आए, इसका उत्तरदायित्व वन विभाग का है। इस पर नितिन सिंघवी ने कहा कि जंगलों के बीच रहवासी क्षेत्र बन गए हैं वहां बोर अवैध कनेक्शन चल रहे है बिजली की लाइनें मापदंड से नीचे से जा रही हैं। जंगलों के बीच और आसपास बसे गांवों में हाथी जाएंगे ही। आज भी जब हाथी जशपुर के तपकरा वन क्षेत्र के पास गांव में वन विभाग अगर जागरूक होता और रेगुलर मॉनिटरिंग की जाती तो बिजली का प्रवाह बंद कर हाथी की जान बचाई जा सकती थी।