गौरेला-पेंड्रा-मरवाही। शिक्षा को और बेहतर और संतुलित बनाने के लिए जीपीएम जिले में अब कोई भी स्कूल ऐसा नहीं है जहां शिक्षक ही न हों या सिर्फ एक शिक्षक पर पूरा स्कूल चल रहा हो। राज्य सरकार के निर्देशों पर जिले में शालाओं और शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण (शिक्षकों का उचित बंटवारा) किया गया है, जिससे हर स्कूल में ज़रूरत के मुताबिक शिक्षक मिल रहे हैं।

कलेक्टर लीना कमलेश मंडावी ने शुक्रवार को प्रेस वार्ता में बताया कि पहले कई स्कूलों में बच्चों की संख्या कम होने के बावजूद ज्यादा शिक्षक थे, वहीं कुछ स्कूल ऐसे भी थे जहां बच्चों की संख्या बहुत अधिक थी लेकिन शिक्षक एक या बिलकुल नहीं थे। अब ऐसे सभी असंतुलन को ठीक किया गया है। उन्होंने बताया कि जिले की 4 प्राथमिक शालाएं पहले पूरी तरह शिक्षकविहीन थीं और 130 शालाएं सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे चल रही थीं। इसके अलावा माध्यमिक स्तर पर 10 स्कूल एकल शिक्षकीय थे। साथ ही, जरूरत के अनुसार 174 प्राथमिक और 163 पूर्व माध्यमिक शिक्षक चाहिए थे, जबकि कुछ स्कूलों में 135 प्राथमिक और 43 पूर्व माध्यमिक शिक्षक अतिरिक्त थे। अब इन अतिरिक्त शिक्षकों को उन स्कूलों में भेजा गया है, जहां उनकी ज़रूरत थी। इससे ग्रामीण इलाको के स्कूलों में भी गणित, विज्ञान, रसायन और अंग्रेजी जैसे विषयों के विशेषज्ञ मिलने लगे हैं।

उन्होंने कुछ उदाहरण देते हुए बताया कि मनौरा स्कूल में 6 शिक्षक थे जहां 63 बच्चे थे, वहीं बगरार स्कूल में 70 बच्चों पर सिर्फ 1 शिक्षक था। अब बगरार में 3 शिक्षक हो गए हैं। वहीं, धोबहर हाई स्कूल में 68 बच्चों के लिए 3 अंग्रेजी के व्याख्याता थे, जबकि जोगीसार स्कूल में 168 बच्चों के लिए एक भी अंग्रेजी शिक्षक नहीं था। अब वहां शिक्षक तैनात कर दिए गए हैं। नेवरी स्कूल, जहां पहले एक भी शिक्षक नहीं था, अब वहां 2 शिक्षक हैं। तरईगांव स्कूल में 88 बच्चों पर सिर्फ 1 शिक्षक था, अब वहां 3 शिक्षक हो गए हैं। कस्तूरबा आवासीय विद्यालय कुम्हारी में पहले सिर्फ 1 शिक्षिका थी, अब 3 शिक्षिकाएं तैनात कर दी गई हैं।

कलेक्टर ने कहा कि इस बदलाव के बाद हर स्कूल में विषय-विशेषज्ञ शिक्षक मिलेंगे, पढ़ाई का स्तर सुधरेगा जिससे ड्रॉपआउट (स्कूल छोड़ने) के मामले घटेंगे। एक ही परिसर में अच्छी बिल्डिंग, लाइब्रेरी, लैब जैसी सुविधाएं मिल सकेंगी तथा खर्च में भी कमी आएगी

कलेक्टर ने कहा कि गुणवत्ता और समानता की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने यह भी भरोसा दिलाया कि जिले में किसी भी बच्चे की पढ़ाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

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