नई दिल्ली। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ एक याचिका दायर की गई है, जिसमें उनके 1980 की मतदाता सूची में नाम शामिल होने को लेकर धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया है। याचिका में दावा किया गया है कि सोनिया गांधी 1983 में भारतीय नागरिक बनी थीं, लेकिन उनका नाम 1980 की मतदाता सूची में पहले से ही दर्ज था। इस मामले में जांच की मांग की गई है।

मतदाता पहले बनीं, नागरिकता बाद में ?

यह याचिका दिल्ली की एक अदालत में अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट वैभव चौरसिया के समक्ष दायर की गई है। याचिकाकर्ता ने भारतीय न्याय संहिता (BNSS) की धारा 175(4) के तहत पुलिस को जांच के निर्देश देने की मांग की है, जो मजिस्ट्रेट को जांच का आदेश देने की शक्ति प्रदान करती है। याचिका में कहा गया है कि सोनिया गांधी का नाम 1980 में नई दिल्ली के मतदाता सूची में शामिल था, जबकि उनकी भारतीय नागरिकता 1983 में स्वीकृत हुई थी। यह दावा भारतीय नागरिकता अधिनियम और मतदाता पंजीकरण नियमों का उल्लंघन माना जा रहा है, क्योंकि केवल भारतीय नागरिक ही मतदाता सूची में शामिल हो सकते हैं।

1980 की मतदाता सूची में नाम कैसे?

सोनिया गांधी, जो मूल रूप से इटली की नागरिक थीं, ने 1968 में राजीव गांधी से शादी की थी। याचिका में दावा किया गया है कि उन्होंने 1983 में औपचारिक रूप से भारतीय नागरिकता प्राप्त की थी। इस आधार पर, याचिकाकर्ता ने सवाल उठाया है कि 1980 में उनका नाम मतदाता सूची में कैसे शामिल हो सकता है। यह मामला इसलिए भी संवेदनशील है, क्योंकि सोनिया गांधी भारतीय राजनीति में एक प्रमुख हस्ती रही हैं और 1999 से 2019 तक कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष थीं। वह वर्तमान में राज्यसभा सांसद हैं।

पहली बार नहीं उठा नागरिकता पर सवाल 

मालूम हो कि पहले भी सोनिया गांधी की नागरिकता पर सवाल उठाए गए हैं। 2004 में, भाजपा नेता विष्णु शंकर जैन ने दावा किया था कि सोनिया गांधी भारतीय नागरिक नहीं थीं, जिसके कारण वह 2004 में प्रधानमंत्री पद की शपथ नहीं ले सकीं। यह दावा एक एक्स पोस्ट में भी सामने आया था, हालांकि इसकी पुष्टि के लिए स्वतंत्र साक्ष्य उपलब्ध नहीं हैं।

इसके अलावा, सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी के खिलाफ नेशनल हेराल्ड मामले में भी कानूनी कार्रवाई चल रही है। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आरोप लगाया है कि गांधी परिवार ने यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की संपत्तियों का अधिग्रहण किया, जिसे मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बताया गया है। दिल्ली की एक अदालत ने इस मामले में 29 जुलाई 2025 को अपना फैसला सुरक्षित रखा था।

याचिकाकर्ता की अदालत से गुजारिश

याचिकाकर्ता ने अदालत से अनुरोध किया है कि इस मामले में पुलिस को गहन जांच करने का निर्देश दिया जाए ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या सोनिया गांधी का नाम मतदाता सूची में शामिल करना धोखाधड़ी थी। याचिका में यह भी मांग की गई है कि अगर आरोप सही पाए जाते हैं, तो दोषियों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जाए।

कांग्रेस ने कहा- यह बदले की कार्रवाई

इस याचिका ने एक बार फिर सोनिया गांधी को राजनीतिक विवादों के केंद्र में ला दिया है। भाजपा नेताओं ने इस मुद्दे को उठाकर कांग्रेस पर हमला बोला है, जबकि कांग्रेस ने इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई करार दिया है। कांग्रेस प्रवक्ताओं ने कहा है कि यह याचिका तथ्यों पर आधारित नहीं है और इसका मकसद केवल गांधी परिवार की छवि को नुकसान पहुंचाना है। हालांकि, इस मामले में अभी तक सोनिया गांधी या उनके प्रतिनिधियों की ओर से कोई बयान सामने नहीं आया है।

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