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अमेरिका द्वारा भारत पर 50% तक का टैरिफ लागू करना एक बड़ा आर्थिक और राजनीतिक घटनाक्रम है, जिसने दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों को झकझोर दिया है। यह टैरिफ क्या है, क्यों लगाया गया, इसका भारत पर क्या असर होगा, और भारत इस झटके का सामना करने के लिए किस तरह से तैयार है? इसे ऐसे समझते हैं-

🧾 टैरिफ क्या होता है?

टैरिफ एक प्रकार का कर होता है जो एक देश दूसरे देश से आयात किए गए सामान पर लगाता है। इसका उद्देश्य घरेलू उद्योगों की रक्षा करना, राजस्व बढ़ाना या राजनीतिक दबाव बनाना हो सकता है।

🇺🇸 अमेरिका ने भारत पर टैरिफ क्यों लगाया?

27 अगस्त से अमेरिका ने भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया है, जिससे कुल टैरिफ 50% हो गया है। इसके पीछे मुख्य कारण है भारत द्वारा रूस से कच्चे तेल की खरीद जारी रखना। अमेरिका का मानना है कि इससे रूस को यूक्रेन युद्ध में अप्रत्यक्ष समर्थन मिल रहा है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह कदम उठाते हुए कहा कि भारत ने रूस से सैन्य उपकरण और ऊर्जा संसाधनों की खरीद जारी रखी है, जो अमेरिका की विदेश नीति के खिलाफ है।

📦 किन उत्पादों पर टैरिफ लगा?

यह टैरिफ कई भारतीय उत्पादों पर लागू हुआ है, जिनमें शामिल हैं:

  • कपड़े और रेडीमेड गारमेंट्स: पहले 9–13.9% टैरिफ था, अब 59–63.9% हो गया।
  • स्टील, एल्युमिनियम, कॉपर: पहले 1.7%, अब 51.7%।
  • फर्नीचर और बेडिंग: पहले 2.3%, अब 52.3%।
  • झींगे (Shrimps): पहले कोई टैरिफ नहीं था, अब 50%।
  • हीरे और सोना: पहले 2.1%, अब 52%।
  • मशीनरी और ऑटो पार्ट्स: अब 51.3% तक।

हालांकि, स्मार्टफोन और दवाइयों को फिलहाल इस टैरिफ से बाहर रखा गया है, लेकिन अमेरिका ने संकेत दिया है कि भविष्य में इन पर भी टैरिफ लगाया जा सकता है।

👷 भारत पर इसका असर क्या होगा?

इस टैरिफ का असर भारत के कई उद्योगों और लाखों कामगारों पर पड़ सकता है:

  • कपड़ा उद्योग: भारत के लगभग 4.5 करोड़ लोग इस क्षेत्र में काम करते हैं। टैरिफ बढ़ने से निर्यात घट सकता है और रोज़गार पर असर पड़ेगा।
  • स्टील और धातु उद्योग: 55 लाख से अधिक लोग इस क्षेत्र में कार्यरत हैं।
  • फर्नीचर और झींगा उद्योग: लाखों किसान और कारीगर प्रभावित होंगे।
  • हीरा और आभूषण उद्योग: लगभग 50 लाख लोग इस क्षेत्र से जुड़े हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की प्रतिस्पर्धा अमेरिकी बाजार में कमजोर हो सकती है।

🗣️ भारत की प्रतिक्रिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट कहा है कि भारत किसानों, पशुपालकों और छोटे उद्योगों के हितों से कोई समझौता नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि भारत दबाव को सहने के लिए तैयार है।

भारत के विदेश मंत्रालय ने इस टैरिफ को “अनुचित और अन्यायपूर्ण” बताया है। उन्होंने कहा कि भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों और राष्ट्रीय हितों के अनुसार रूस से तेल खरीदता है।

🌍 भारत की रणनीति क्या है?

भारत अब अमेरिका के विकल्प के रूप में जापान, यूरोपियन यूनियन, दक्षिण कोरिया और यूके जैसे देशों के साथ व्यापार बढ़ाने की योजना बना रहा है। खासतौर पर टेक्सटाइल और ज्वेलरी जैसे क्षेत्रों में नए बाजारों की तलाश की जा रही है।

कॉमर्स मंत्रालय के अनुसार, भारत 200 देशों में आउटरीच की तैयारी कर रहा है ताकि अमेरिकी टैरिफ से हुए नुकसान की भरपाई की जा सके।

🔄 क्या भारत भी जवाबी टैरिफ लगा सकता है?

भारत ने पहले भी अमेरिका के स्टील और एल्यूमिनियम पर जवाबी टैरिफ लगाया था। वर्तमान में भारत अमेरिकी उत्पादों पर औसतन 10–20% टैरिफ लगाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत अमेरिकी कृषि उत्पादों और तकनीकी उपकरणों पर टैरिफ बढ़ा सकता है, लेकिन यह कदम सोच-समझकर उठाना होगा क्योंकि भारत अमेरिका को अधिक निर्यात करता है।

📉 व्यापारिक संबंधों पर असर

अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। भारत अमेरिका को लगभग 87 अरब डॉलर का निर्यात करता है। इस टैरिफ से भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में तनाव बढ़ सकता है।

वॉशिंगटन स्थित थिंक टैंक “एशिया ग्रुप” के विशेषज्ञों ने चेताया है कि यह टैरिफ भारत की मैन्युफैक्चरिंग योजनाओं को नुकसान पहुंचा सकता है और निवेशकों की चिंता बढ़ा सकता है।

🧭 निष्कर्ष

भारत पर अमेरिकी टैरिफ एक गंभीर मुद्दा है, जो सिर्फ व्यापार नहीं बल्कि भू-राजनीतिक समीकरणों से भी जुड़ा है। भारत अब अपनी रणनीति को मजबूत कर रहा है, नए बाजारों की तलाश की जा रही है और घरेलू उद्योगों को सहारा देने के लिए काम हो रहा है। दरअसल, टैरिफ की यह लड़ाई सिर्फ करों की नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता और वैश्विक नेतृत्व की भी है।

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